Loading election data...

नेताजी जयंती : CID ने 1986 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बारे में रांची के डॉ बीरेन राय से ली थी जानकारी

!!अनुज कुमार सिन्हा!! लंबे समय तक यह विवाद बना रहा कि 18 अगस्त, 1945 को विमान दुर्घटना में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत हुई थी या नहीं. एक बड़ा वर्ग मानता रहा कि नेताजी की माैत ताइवान की उस विमान दुर्घटना में नहीं हुई थी. कुछ लाेग यह भी मानते रहे कि उत्तराखंड में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 23, 2018 6:18 AM
an image
!!अनुज कुमार सिन्हा!!
लंबे समय तक यह विवाद बना रहा कि 18 अगस्त, 1945 को विमान दुर्घटना में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत हुई थी या नहीं. एक बड़ा वर्ग मानता रहा कि नेताजी की माैत ताइवान की उस विमान दुर्घटना में नहीं हुई थी. कुछ लाेग यह भी मानते रहे कि उत्तराखंड में कई सालाें तक रहनेवाले जिस स्वामी शारदानंद की माैत 14 अप्रैल, 1977 काे हुई थी, दरअसल में वे नेताजी ही थे. हालांकि सरकार इससे इनकार करती रही. नेताजी की माैत की जांच के लिए कई आयाेग (मुखर्जी आयाेग, खाेसला आयाेग आदि) बने.
प्रधानमंत्री नरेंद्र माेदी के निर्देश पर जनवरी 2016 में नेताजी की माैत से जुड़ी कई गाेपनीय फाइलाें काे सार्वजनिक किया गया. जाे गाेपनीय दस्तावेज आम लाेगाें के लिए सार्वजनिक किये गये, उसमें ऐसा कुछ नहीं मिला, जिससे यह कहा जा सके कि नेताजी की माैत विमान दुर्घटना में नहीं हुई थी.
आइएनए में रहे नेताजी के सहयाेगी (रांची निवासी) मेजर (डॉ) बीरेंद्र नाथ राय (बीरेन राय) यह मानते रहे कि नेताजी की माैत ताइवान में हुई विमान दुर्घटना में नहीं हुई थी. उनका मानना था कि विमान दुर्घटना के बाद नेताजी ने स्वामी शारदानंद बन कर भारत में अपना जीवन बिताया था. डॉ बीरेन राय ने जांच आयोग के समक्ष अपना दावा पेश करने का प्रयास किया था, लेकिन उनकी बात सुनी नहीं गयी थी. इसका उन्हें अफसाेस था. 6 जनवरी 1989 काे डॉ बीरेन राय ने राज्यसभा के तत्कालीन सांसद आैर प्रसिद्ध वकील राम जेठमलानी काे पत्र लिखा था.
इस पत्र में उन्हाेंने उल्लेख किया था कि समय-समय पर नेताजी के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए सीआइडी की टीम उनके पास आती रही है अाैर पूछताछ करती रही. 29 जनवरी 1986 काे भी सीआइडी के लाेग उनके पास (तीसरी बार) आये थे अाैर नेताजी के बारे में पूछताछ की थी.
डॉ बीरेन राय के पास नेताजी के बारे में जाे भी जानकारी थी, उसे उन्हाेंने सीआइडी काे बता दिया था. जेठमलानी काे लिखे पत्र में डॉ राय ने एक पंपलेट का जिक्र किया था, जाे यूपी में छपा था आैर जिसमें स्वामी परमहंस देव की तसवीर छपी थी. डॉ राय ने नेताजी की माैत की जांच के लिए बने आयाेगाें काे भी लगातार खुला पत्र लिखा था.
डॉ बीरेन राय हार माननेवाले नहीं थे. उन्हाेंने नेताजी के संबंध में एक किताब लिखी, लेकिन उसे प्रकाशित करने के लिए काेई प्रकाशक तैयार नहीं हुआ. इसका जिक्र डॉ राय ने 30 जनवरी 1986 काे प्रसिद्ध पत्रकार कुलदीप नैयर काे लिखे पत्र में किया है. बीरेन राय की माैत के बाद उनकी पुस्तक सैनिक नेताजी : हिज डिस एपियरेंस एंड इवेंट देयर अाफटर काे एक स्मारिका-बुकलेट के ताैर पर उनके पुत्र उत्पल कुमार राय ने प्रकाशित करायी. इसमें प्राे एसडी सिंह, डॉ एनएस सेन, प्राे अरूण ठाकुर, डॉ भास्कर गुप्ता, डॉ पीडी सिन्हा ने बड़ी भूमिका अदा की. इसमें नेताजी के बारे में कई जानकारियां हैं, डॉ बीरेन राय के अपने विचार हैं.
हालांकि नेताजी के बारे में केंद्र सरकार ने जाे गाेपनीय दस्तावेज जारी किये हैं, उसमें ऐसा कुछ भी नहीं मिलता, जिससे यह साबित हाे सके कि नेताजी विमान दुर्घटना के बाद भी जीवित थे. जापान सरकार ने भी नेताजी की माैत के बारे में जांच करायी थी, जिसे 60 साल तक सार्वजनिक नहीं किया गया था. दाे साल पहले जापान सरकार ने दस्तावेज जारी कर दिया था. इनवेस्टिगेशन अॉन द काउज अॉफ डेथ एंड अदर मैटर्स अॉफ द लेट सुभाष चंद्र बाेस शीर्षक से यूके आधारित वेबसाइट बाेसफाइल्स डॉट इनफाे ने जांच रिपाेर्ट प्रकाशित की थी. इसमें कहा गया था कि जनवरी 1956 में ही जापान सरकार ने जांच पूरी कर ली थी आैर जांच रिपाेर्ट जापान में भारतीय दूतावास काे साैंप दी थी. किसी ने भी इस रिपाेर्ट काे उस समय सार्वजनिक नहीं किया था.वेबसाइट के अनुसार, सात पेज की जापानी भाषा में यह जांच रिपाेर्ट है (अंगरेजी अनुवाद दस पेज में). इसमें यह लिखा है कि 18 अगस्त 1945 काे ताइवान के ताइहाेकू से उड़ान भरने के तुरंत बाद विमान दुर्घटनाग्रस्त हाे गया था. घायल नेताजी काे तीन बजे ताइपेई आर्मी हास्पीटल के नानमन ब्रांच में भरती कराया गया था, जहां सात बजे उनकी माैत हाे गयी थी.
दस्तावेज ने माैत की पुष्टि की है. लेकिन इस पर एक राय नहीं बन पायी. जाे भी हाे, नेताजी के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए सीआइडी की टीम का तीन-तीन बार रांची आना आैर डॉ बीरेन राय से पूछताछ करना यह बताता है कि डॉ बीरेन राय नेताजी के कितने करीब थे.
काैन थे डॉ बीरेन राय
रांची के रहनेवाले डॉ बीरेंद्र नाथ राय (डॉ बीरेन राय के नाम से मशहूर), नेताजी सुभाष चंद्र बाेस के सहयाेगी थे आैर इंडियन नेशनल आर्मी (आइएनए) में मेजर के पद पर थे. डॉ राय 1943 से 1945 तक आइएनए के मेडिकल विंग से जुड़े थे. उनका दर्जा मेजर का था.
एक बार नेताजी ने उन्हें कहा था-भारत एक गरीब देश है. इसलिए ध्यान रखना कि कम से कम पैसे आैर कम से कम दवा में कैसे गरीबाें का इलाज कर सकाे. डॉ बीरेन राय ने नेताजी के उसी सुझाव के तहत रांची में गरीबाें का इलाज किया. मरीजाें से वे सिर्फ एक रुपया फीस लेते थे. जाे गरीब मरीज एक रुपया भी नहीं दे पाते थे, उनसे वे फीस की मांग नहीं करते थे. ऐसे मरीजाें काे वे मुफ्त में दवा भी देते थे. आइएनए से हटने के बाद उन्हाेंने पूरा जीवन रांची में गरीबाें की सेवा में लगा दिया. वे इंडियन मेडिकल एसाेसिएशन के सक्रिय सदस्य थे आैर कभी भी कांफ्रेंस में जाने से चूकते नहीं थे.
डॉ बीरेन राय 1947 से रांची म्युनिसिपेलिटी के सदस्य थे. 1953-1967 तक वे वाइस चेयरमैन भी रहे. 1962 से 1966 तक वे बिहार विधानसभा के सदस्य भी रहे. डॉ राय बिना किसी भय के अपनी बात रखते थे. अंतिम समय तक वे मरीजाें की सेवा करते रहे. अपनी सादगी, ईमानदार, सेवा भावना आैर देशभक्ति के कारण वे बहुत ही लाेकप्रिय थे. 1989 में उनका निधन हाे गया.
Exit mobile version