ऑक्सफेम की रिपोर्ट
ऑक्सफेम के प्रतिवेदन से तनिक भी चकित नहीं हूं. उसने जो भी आंकड़े जारी किये हैं, वे कम हैं. इसके अनुसार 1% भारतीयों के पास ही 2017 में कुल बढ़ी संपत्ति, यानी पांच लाख करोड़ रुपये, पहुंची. मुझे तो लगता है, यह प्रतिशत और अधिक होना चाहिए, क्योंकि विश्व में यह प्रतिशत 82 है. उसके […]
ऑक्सफेम के प्रतिवेदन से तनिक भी चकित नहीं हूं. उसने जो भी आंकड़े जारी किये हैं, वे कम हैं. इसके अनुसार 1% भारतीयों के पास ही 2017 में कुल बढ़ी संपत्ति, यानी पांच लाख करोड़ रुपये, पहुंची. मुझे तो लगता है, यह प्रतिशत और अधिक होना चाहिए, क्योंकि विश्व में यह प्रतिशत 82 है. उसके पिछले साल यानी 2016 में 58 % हिस्सा ही 1% की जेब में आया था.
अब जब खुद सरकार ही देश की परिभाषा बदल देती है. उसके अनुसार भारत मतलब व्यापार. ऐसे में जब अमीर और अमीर होगा, तो वह गरीबों, किसानों और मेहनत मजदूरी करने वालों की कीमत पर ही तो होगा. वह दिन दूर नहीं जब पूरा सौ प्रतिशत संसाधनों पर इन्ही एक या दो प्रतिशत लोगों का कब्जा होगा. पूंजीवाद का सिद्धांत भी यही है. असलियत में यही सच्चाई है, जो यह रिपोर्ट दिखा रही है.
जंग बहादुर सिंह, गोलपहाड़ी