विरोध का तरीका
फिल्म पद्मावत पर देश में और सीलिंग पर दिल्ली में विरोध का उबाल है जिसमें दुर्भाग्य से सड़क जाम, तोड़-फोड़ और आगजनी हो रही है. तोड़फोड़ और हिंसा का रास्ता नुकसान व शर्म की बात है. दुर्भाग्य से जातीय और धार्मिक आधार पर पहले भी यह सब देखने को मिला है. विरोध का उचित तरीका […]
फिल्म पद्मावत पर देश में और सीलिंग पर दिल्ली में विरोध का उबाल है जिसमें दुर्भाग्य से सड़क जाम, तोड़-फोड़ और आगजनी हो रही है. तोड़फोड़ और हिंसा का रास्ता नुकसान व शर्म की बात है.
दुर्भाग्य से जातीय और धार्मिक आधार पर पहले भी यह सब देखने को मिला है. विरोध का उचित तरीका तो शांतिपूर्वक संवाद, सभा, अनशन और प्रदर्शन आदि हो सकता है जिसमें किसी की हानि न हो. बड़े दुःख की बात तो यह है कि नैतिक शिक्षा देने वाले देश के कुछ संगठन ही इसमें लिप्त हैं.
असल में यह सब सरकार की लापरवाही और बदइंतजामी से होता है. सरकार को भी समय पर इनके उचित हल, चेतावनी और कार्यवाही के लिए सदा तत्पर रहना जरूरी है, जो दुर्भाग्य से नहीं है. दूरदर्शी प्रशासन में इसकी नौबत कभी नहीं आ सकती. वर्तमान सरकार से कुछ ठोस आशाएं जरूर हैं.
वेद मामूरपुर, इमेल से