प्रशासन का भेदभाव

भारत में करणी सेना पिछले कुछ दिनों से पूरे देश में उत्पात मचा रही है. ऐसा लगा ही नहीं की यह देश संवैधानिक नीतियों से चल रहा है. वे चाहे स्कूली बच्चों से भरे बस में पथराव हो या बसों को आग के हवाले करना. खबर आ रही है कि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 29, 2018 6:30 AM

भारत में करणी सेना पिछले कुछ दिनों से पूरे देश में उत्पात मचा रही है. ऐसा लगा ही नहीं की यह देश संवैधानिक नीतियों से चल रहा है. वे चाहे स्कूली बच्चों से भरे बस में पथराव हो या बसों को आग के हवाले करना. खबर आ रही है कि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी को जयपुर साहित्य उत्सव में भाग लेने पर बुरे परिणाम की धमकी दी गयी है.

पुलिस ने कुछ लोगों को गिरफ्तार जरूर किया है, मगर एफआइआर में करणी सेना का जिक्र ही नहीं है. याद कीजिए, पिछले साल सहारनपुर में प्रतिक्रिया देने के जुल्म में भीम आर्मी के प्रमुख को न सिर्फ गिरफ्तार किया गया, बल्कि जब उन्हें उच्च न्यायालय से बेल मिला, तो यूपी सरकार ने तुरंत उस पर रासुका लगा दिया. कहने का मतलब, ऊंच-नीच का भेद आज भी समाज में तो है ही, प्रशासन भी उसी के अनुरूप व्यवहार करता है.

जंग बहादुर सिंह, इमेल से

Next Article

Exit mobile version