गणतंत्र के मायने

विगत दिनों हमने अपना 69वां गणतंत्र दिवस मनाया. एक ओर जहां बड़े जोर-शोर से राजपथ पर दस आसियान देशों के राष्ट्राध्यक्षों की उपस्थिति में मुख्य कार्यक्रम हुआ, वहीं उत्तर प्रदेश के कासगंज में तिरंगा यात्रा में एक खास समुदाय के लोगों द्वारा पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे के साथ पथराव किया गया. हाथ में तिरंगा लेकर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 29, 2018 6:30 AM
विगत दिनों हमने अपना 69वां गणतंत्र दिवस मनाया. एक ओर जहां बड़े जोर-शोर से राजपथ पर दस आसियान देशों के राष्ट्राध्यक्षों की उपस्थिति में मुख्य कार्यक्रम हुआ, वहीं उत्तर प्रदेश के कासगंज में तिरंगा यात्रा में एक खास समुदाय के लोगों द्वारा पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे के साथ पथराव किया गया.
हाथ में तिरंगा लेकर निकले दो राष्ट्रपुत्रों अभिषेक चंदन गुप्ता और राहुल उपाध्याय उसी तिरंगे में लिपट सदा के लिए विदा हो गये! ऐसे में सवाल उठता है कि क्या आज भी, गणतंत्र के 68 साल पश्चात, यह राष्ट्र गणतंत्रता के सभी मानकों पर खरा उतर पाया है? अब तक कासगंज घटना की जांच के लिए एक उच्चस्तरीय कमेटी तक नहीं बनायी गयी है. क्या अपने सियासी मकसद के लिए हिंसा को बढावा देना जायज है? क्या यही है हमारा गणतंत्र और इसकी प्रासंगिकता?
मनोज पांडेय बाबा, चंदनक्यारी (बोकारो)

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