‘पावर’ वाली सास कहां से लाओगे!

अखिलेश्वर पांडेय प्रभात खबर, जमशेदपुर मेरे एक मित्र ने सुबह-सुबह फोन किया. उनकी आवाज में नरमी थी. मुझे लगा कि वे थोड़े दुखी हैं. मैंने कारण जानना चाहा, तो भड़क गये. कहने लगे, ‘जख्मों पर नमक न डालो. मैं दुखी इसलिए नहीं हूं कि शादीशुदा हूं. इसलिए भी नहीं कि पत्नी से बनती नहीं है […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 6, 2014 5:10 AM

अखिलेश्वर पांडेय

प्रभात खबर, जमशेदपुर

मेरे एक मित्र ने सुबह-सुबह फोन किया. उनकी आवाज में नरमी थी. मुझे लगा कि वे थोड़े दुखी हैं. मैंने कारण जानना चाहा, तो भड़क गये. कहने लगे, ‘जख्मों पर नमक न डालो. मैं दुखी इसलिए नहीं हूं कि शादीशुदा हूं. इसलिए भी नहीं कि पत्नी से बनती नहीं है बल्कि मुझे अफसोस इस बात का है कि ढंग की सास नहीं मिली.’ मैं अचरज में पड़ गया, ‘भाई! हर नाकाम आदमी अपनी बदकिस्मती के लिए पत्नी को कोसता है तुम सास पर क्यों बरस रहे हो?’ मित्र का जवाब चौंकाने वाला था, ‘हर सफल आदमी के पीछे औरत का हाथ होता है.

यह जुमला तो सुना ही होगा. पर वह औरत पत्नी ही नहीं, सास भी हो सकती है.’ यह नया ज्ञान हुआ है. जब से सुना है कि राबर्ट वाड्रा ने महज पांच सालों में एक लाख रुपये के निवेश से 344 करोड़ रुपये से अधिक की संपति बना ली है तब से मेरे पेट में मरोड़ हो रहा है. क्योंकि गैर कांग्रेसी पार्टियां कह रही हैं कि यह चमत्कार वाड्रा के कौशल का नतीजा नहीं है, बल्कि उनकी ‘पावर’ वाली सास की वजह से हुआ है. तभी से सोच रहा हूं कि काश मेरी भी सास ऐसी होती!’

मेरा दुखी मित्र लगातार बोले ही जा रहा था, ‘भाई मैं तो अब यहां तक सोचने लगा हूं कि मैं दूसरी शादी कर लूं. ऐसी लड़की से जिसकी मां ‘पावर’ वाली हो. ताकि वह मेरा भविष्य सुधार सके, कैरियर बना सके. एक लाख तो मैं भी कैसे भी जुगाड़ कर ही सकता हूं.’ मैंने रोका ‘क्या तुम्हारा मतलब है कि तुम तलाक लेने जा रहे हो.’ वह बोला ‘नहीं पगले! यह मैंने कब कहा.

मैं तो सिर्फ अपने शादीशुदा होने का स्टेटस छिपाने की बात कह रहा हूं.’ इतने में फोन कट गया. विडंबना देखिये कि औरतें स्वयं को विवाहित दिखाने और बताने के लिये दसियों तरीके अपनाती हैं. बिन्दी और सिंदूर लगाती हैं. पर आदमी कुंवारा दिखने के लिए जद्दोजहद करता है. विवाह की चिप्पी लग जाने से वह डरता है.

मुझे एक वाकया याद आ रहा है. एक आदमी अपनी पत्नी के साथ बैठा शराब पी रहा था और बार-बार कह रहा था कि मैं तुम्हें बहुत चाहता हूं, मुझे समझ नहीं आ रहा कि तुम्हारे बिना मैं इतने साल कैसे रहा. औरत झल्ला कर बोली- ‘यह तुम बोल रहे हो या तुम्हारी बोतल?’ आदमी ने सहजता से कहा- ‘यह मैं अपनी बोतल से कह रहा हूं.’ आदमी का बोतल पर ज्यादा भरोसा है और अपनी धर्मपत्नी पर कम.

पत्नियां ही धर्मपत्नियां होती हैं वरना आदमियों को कोई धर्मपति नहीं कहता. यह आदमियों को भी भलीभांति पता है कि वे धर्मपति नहीं बन सकते. बाद में मैंने अपने उस मित्र को मैसेज किया- ‘तुम चाहे अपना मैरिज स्टेटस छिपा लो या दूसरी शादी कर लो. यह सब तुम कर सकते हो क्योंकि यह तुम्हारे वश में है पर ‘पावर’ वाली सास कहां से लाओगे? यह तो किस्मत की बात है, और यह गाना तो सुना ही होगा कि किस्मत के खेल निराले मेरे भइया!’

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