पिछले कई महीनों से देखा जा रहा हैं कि कई जातियां आदिवासी की सूची में शामिल होने के लिए बेचैन हैं. जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है, राजनीतिक दल भी फायदे के लिए दांव चल रहे हैं. दरअसल झारखंड में तेली और कुर्मी राजनीतिक दलों के लिए बड़ा वोट बैंक हैं.
ये आजसू और जेएमएम के पारंपरिक वोटर रहे है. इसलिए ये दल इन जातियों को एसटी की सूची में शामिल कर लाभ लेना चाहते हैं. वहीं सीएम भी अपनी जाति को आदिवासी बनाने के लिए उतावले हैं . यदि इन लोगों को एसटी की सूची में शामिल किया जाता हैं, तो वास्तविक आदिवासियों का अधिकार प्रभावित होगा. इसलिए सरकार को सोच-समझ कर निर्णय लेना चाहिए.
सुमन, इमेल से