अंकित के परिजनों की समझदारी

इन दिनों कोई भी मौत इवेंट मैनेजमेंट बन जाता है. जिस बात पर ज्यादा चर्चा हो, मीडिया भी उसे ही उठाता है और मीडिया के उठाते ही राजनीतिक दल भी उसमें कूद पड़ते हैं. एनजीओ भी आ पहुंचते हैं. दिल्ली के अंकित की मौत पर आंसू बहाने से शायद ज्यादा चर्चा न मिलती, इसलिए राजनीतिक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 14, 2018 4:10 AM
इन दिनों कोई भी मौत इवेंट मैनेजमेंट बन जाता है. जिस बात पर ज्यादा चर्चा हो, मीडिया भी उसे ही उठाता है और मीडिया के उठाते ही राजनीतिक दल भी उसमें कूद पड़ते हैं. एनजीओ भी आ पहुंचते हैं.
दिल्ली के अंकित की मौत पर आंसू बहाने से शायद ज्यादा चर्चा न मिलती, इसलिए राजनीतिक दलों ने भी मौन रहना ही उचित समझा. लेकिन जरा अंकित के घर वालों की समझदारी देखिए. उन्होंने कहा कि वे अपने मोहल्ले को कासगंज नहीं बनाना चाहते.
उनके बेटे की मौत को सांप्रदायिक रंग नहीं देना चाहिए. हां, अपराधियों को जरूर सजा मिले. यह कितना समझदारी भरा बयान है. अपने बेटे को गंवा चुकने के बावजूद वे कोई फसाद नहीं चाहते. इन दिनों प्रेम में ईश्वर नहीं घृणा और नफरत दिखती है. अगर नफरत का राग न होता, तो शायद अंकित आज जिंदा होता.
डॉ हेमंत कुमार, भागलपुर

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