महंगाई और औद्योगिक उत्पादन के नये आंकड़े राहत का संकेत लेकर आये हैं. केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) हर माह औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आइआइपी) और खुदरा महंगाई दर के आंकड़े जारी करता है. ताजा आंकड़े खुदरा महंगाई दर में कमी तथा औद्योगिक उत्पादन कुछ बेहतर होने के रुझान हैं.
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार पर दिसंबर में महंगाई दर पिछले 17 महीनों के सर्वोच्च स्तर (5.21 प्रतिशत) पर थी, पर जनवरी में यह 5.07 फीसदी हो गयी है. खाने-पीने की चीजों की कीमतों का घटना जनवरी में खुदरा महंगाई में कमी की मुख्य वजह रही.
खुदरा मूल्य सूचकांक में खाने-पीने के सामानों की हिस्सेदारी करीब 46 फीसदी होती है. जनवरी में खाद्य वस्तुओं की खुदरा महंगाई दर 4.7 फीसदी पर आ गयी है, जबकि दिसंबर में यह दर 4.96 फीसदी थी. हालांकि इस तथ्य को ध्यान में रखना होगा कि महंगाई के घटने के बावजूद उपभोक्ता का खर्च कम नहीं हुआ है, क्योंकि तेल की कीमतें चढ़ाव पर रहीं. औद्योगिक विकास दर की माप आइआइपी भी सुधार पर है.
दिसंबर में इसमें 7.1 फीसदी की वृद्धि हुई है. अगर चालू वित्त वर्ष की पहली तीन तिमाहियों से तुलना करें, तो आइआइपी में आये सुधार से बड़े आशाजनक संकेत निकलते हैं. साल 2017 के अप्रैल से दिसंबर महीने के बीच उद्योगों की विकास दर औसतन 3.7 फीसदी रही. नवंबर और दिसंबर में उद्योगों की विकास दर में बढ़ोतरी जारी है.
हालांकि, नवंबर की तुलना में दिसंबर में दर में हल्की कमी आयी है. उद्योगों की विकास दर में उछाल की मुख्य वजह विनिर्माण क्षेत्र में आयी तेजी को माना जा रहा है. फैक्ट्रियों में उत्पादन बढ़ा है और बढ़ोतरी विनिर्माण क्षेत्र में आयी 8.4 फीसदी की तेजी की देन है. सीएसओ के नये तथ्य संकेत करते हैं कि खनन और बिजली उत्पादन के क्षेत्र में खास बढ़ोतरी हुई है.
बहरहाल, औद्योगिक उत्पादन में आयी तेजी और खुदरा महंगाई दर में हुई कमी को रिजर्व बैंक की नयी समीक्षा के तथ्यों की रोशनी में देखना ज्यादा ठीक होगा. रिजर्व बैंक का आकलन है कि अगले वित्त वर्ष (2018-19) में मॉनसून के सामान्य रहने पर महंगाई दर 5.1 प्रतिशत से 5.6 प्रतिशत रह सकती है. साथ ही, बैंक ने चालू वित्त वर्ष (2017-18) में जनवरी से मार्च महीने के लिए डीजल-पेट्रोल की कीमतों की वृद्धि के मद्देनजर महंगाई दर 5.1 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है, जबकि दिसंबर में महंगाई दर के 4.4 फीसदी तक रहने का अनुमान था. महंगाई दर में कमी के रुझान अगर नये वित्त वर्ष के ज्यादातर महीनों में जारी रहें, तभी आम उपभोक्ता के लिए राहत की स्थिति बन पायेगी.
रिजर्व बैंक ने पूंजी निर्माण की स्थितियों के बारे में भी आगाह किया था. फिलहाल बचत और निवेश के रुझान 2007 की तुलना में बेहतर नहीं हैं, जबकि आर्थिक वृद्धि दर को वांछित स्तर पर बनाये रखने के लिए बचत और निवेश के अनुकूल स्थितियां तैयार करना बहुत अहम है.