एक स्थायी खुशी है प्यार

शफक महजबीन टिप्पणीकार ब्रिटिश उपन्यासकार सीएस लुईस ने कहा है कि ‘हमारे जीवन में जो भी दृढ़ और स्थायी खुशी है, उसके लिए नब्बे प्रतिशत प्यार उत्तरदायी है.’ मतलब प्यार के बिना तो हम जिंदगी में खुशी की कल्पना ही नहीं कर सकते. प्यार एक ऐसे जज्बे और खुशी का नाम है, जो हमारे अंदर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 15, 2018 6:50 AM
शफक महजबीन
टिप्पणीकार
ब्रिटिश उपन्यासकार सीएस लुईस ने कहा है कि ‘हमारे जीवन में जो भी दृढ़ और स्थायी खुशी है, उसके लिए नब्बे प्रतिशत प्यार उत्तरदायी है.’ मतलब प्यार के बिना तो हम जिंदगी में खुशी की कल्पना ही नहीं कर सकते. प्यार एक ऐसे जज्बे और खुशी का नाम है, जो हमारे अंदर जमानेभर की परेशानियों का सामना करने की हिम्मत को जन्म देता है. सच्चा प्यार जताने के लिए किसी खास मौके या दिन की जरूरत नहीं होती है. लेकिन, हर साल 14 फरवरी को दुनियाभर के नौजवानों ने प्यार का त्योहार के रूप में ‘वैलेनटाइन्स डे’ मनाकर इसे खास बना दिया है.
वैलेनटाइन्स डे उन्हीं दिनों में आता है, जब भारत में वसंत का मौसम रहता है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार फरवरी, मार्च और अप्रैल में वसंत रहता है. वसंत वातावरण को बहुत खुशनुमा बना देता है. शीत ऋतु के बाद वसंत का आगमन ऐसा लगता है, जैसे प्रकृति ने अपनी रजाई हटा दी है और खुश होकर अपना शृंगार करना शुरू कर दिया है. रंग-बिरंगे फूल, गेहूं की बालियां और सरसों के पीले-पीले फूल, पेड़ों के हरे-हरे पत्ते आदि प्रकृति की सुंदरता को और भी बढ़ा देते हैं.
चारों तरफ हरियाली ही हरियाली दिखायी देने लगती है.प्रकृति को इतना खुश देखकर पशु-पक्षी भी अपनी खुश छिपा नहीं पाते. कोयल गीत गाने लगती है. चारों तरफ प्रसन्नता फैल जाती है. यह मौसम पशु-पक्षी से लेकर इंसानों के अंदर नयी ऊर्जा का संचार करती है. ऐसे खुशगवार मौसम में भला सच्चे प्रेमी अपने प्रेम को जाहिर होने से कैसे रोक सकते हैं. बशर्ते यह प्रेम स्वार्थ-रहित हो. क्योंकि सच्चे प्यार में ही स्थायी खुशी का एहसास होता है. सच्चा प्यार दिल से होता है, दिमाग का इसमें कोई दखल नहीं होता.
आजकल लोगों ने प्यार के मतलब को बदलकर रख दिया है. अब मोहब्बत करने में दिल की कोई जरूरत नहीं है, क्याेंकि अब लड़के और लड़कियाें ने अपने दिमाग के रिमोट कंट्रोल से अपने दिल को कंट्रोल करना सीख लिया है. अब वे कोशिश करते हैं कि उन्हें उसी शख्स से प्यार हो, जो समाज में उसके बराबर हो या उससे भी ज्यादा पैसे वाला हो. वे नहीं समझते कि प्यार एक एहसास है. यह अमीर और गरीब या कोई और फर्क देखकर तो होता नहीं.
दुख है कि हमने प्यार-मुहब्बत को भी खरीदना और बेचना शुरू कर दिया है और एक हसीन एहसास को तर्क से देखने लगे हैं. हमने इसे बंधन बना लिया है, जो कभी समाज की हां का भी मोहताज नहीं होता था. यह कितनी बड़ी विडंबना है कि एक नयी-नवेली दुल्हन को भी घर में तभी प्यार मिलता है, जब वह दहेज लेकर आती है. और घर वाले प्यार का दिखावा तो ऐसे करते हैं, जैसे उनसे ज्यादा दुल्हन को कोई और प्यार कर ही नहीं सकता. क्या यही प्यार है?
आज प्यार-मुहब्बत के सही मायने को समझना जरूरी है. मुहब्बत एक ही दिन मना लेने के बाद भूल जाने का नाम नहीं है, बल्कि इसे सारी जिंदगी निभाना जरूरी है. तभी प्यार से एक स्थायी खुशी हासिल होगी. आपको यह खुशी हासिल हो.

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