सांत्वना देने के लिए रकम ही बहुत बड़ी चीज नहीं होती है. शहीदों के भावनाओं का भी कद्र किया जाना चाहिए. ये क्या चीज है पांच लाख रुपया. शहीदों के परिजनों को बिहार सरकार ने जो प्रदान किया, उससे बड़ी चीज तो सरकार का कोई मंत्री खुद जाकर शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित करता, जिनसे उन्हें ठेस नहीं पहुंचती. सरकार तो हमेशा जात-पात पर राजनीति करती है.
यह कौन-सी राजनीति है कि जिसमें शहीद अगर मुसलिम हो तो उसे पांच लाख की राशि और हिंदू हो तो उसे खुद श्रद्धांजलि और 11 लाख की राशि. शहीद मोजाहिद खान के साथ इस तरह का व्यवहार करना सरकार से अपेक्षित नहीं है. सरकार का इस तरह का रवैया ही जनता की आंखें खोल देता है. शहीदों का सम्मान हर हालत में होना चाहिए.
चंदन सोनी, इमेल से