बांग्लादेश में राजनीतिक सरगर्मी

II राजीव रंजन चतुर्वेदी II रिसर्च एसोसिएट, नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर isasrrc@nus.edu.sg बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री बेगम खालिदा जिया को ढाका में आठ फरवरी को विशेष अदालत द्वारा पांच साल के सश्रम कारावास के एक फैसले ने बांग्लादेश के आगामी राष्ट्रीय चुनावों से पहले राजनीतिक अनिश्चितता और सरगर्मी को बढ़ा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 19, 2018 6:51 AM
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II राजीव रंजन चतुर्वेदी II
रिसर्च एसोसिएट, नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर
isasrrc@nus.edu.sg
बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री बेगम खालिदा जिया को ढाका में आठ फरवरी को विशेष अदालत द्वारा पांच साल के सश्रम कारावास के एक फैसले ने बांग्लादेश के आगामी राष्ट्रीय चुनावों से पहले राजनीतिक अनिश्चितता और सरगर्मी को बढ़ा दिया है.
यह फैसला बांग्लादेश की राष्ट्रीय राजनीति की दशा और दिशा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है. राजनीतिक रूप से विभाजित नागरिकों और बांग्लादेश की कपटपूर्ण राजनीति के बढ़ते तापमान के बीच, बांग्लादेश में राजनीति पर न्यायिक फैसले के निहितार्थ को समझना आवश्यक है.
बांग्लादेश के भ्रष्टाचार निरोधक आयोग ने जुलाई 2008 में मामला दायर किया था, जिसमें खालिदा जिया, उनके बेटे तारिक रहमान और चार अन्य पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाये गये थे कि इन्होंने विदेशी बैंक से अनाथों के लिए आये अनुदान में हेराफेरी की थी. न्यायाधीशों ने लंबी सुनवाई के बाद फैसला सुनाया, जिसे हाइकोर्ट में अपील की जा सकती है. इस फैसले ने बांग्लादेश की राजनीतिक गतिविधियों में रुचि को बढ़ा दी है. बांग्लादेश में राजनीतिक ताकत कमोबेश अवामी लीग और बीएनपी के बीच बंटी रही है. राजनीतिक लाभ के लिए जांच में हस्तक्षेप दक्षिण एशिया में व्यापक है और बांग्लादेश इसका अपवाद नहीं है. दक्षिण एशिया में एक धारणा है कि राजनीतिक दिग्गज कानून तोड़ने और सार्वजनिक विश्वास का उल्लंघन करने के बावजूद कानूनी शिकंजे से बच सकते हैं. दक्षिण एशिया में राजनीति बदल रही है. ऐसे में, आशा और निराशा के बीच बांग्लादेश की राजनीति भी करवट ले रही है.
न्यायिक निर्णय पर प्रतिक्रिया में जहां एक ओर सत्तारूढ़ दल अवामी लीग ने दावा किया कि न्याय किया जा रहा है, बीएनपी ने इसे मनगढ़ंत न्याय की नग्न अभिव्यक्ति कहा. ढाका में बंगबंधु उद्यान में फैसले के बाद एक सार्वजनिक रैली को संबोधित करते हुए, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा, ‘जब कोई व्यक्ति लोगों के खिलाफ दमन करता है तो सर्वशक्तिमान अल्लाह का सिंहासन हिल जाता है. बांग्लादेश की मिट्टी पर भ्रष्ट, आतंकवाद और उसके पनाहगारों और अनाथों का धन लूटनेवालों के लिए कोई जगह नहीं होगी.’ हालांकि, बीएनपी और बेगम जिया ने इसे राजनीतिक प्रतिशोध करार दिया है.
बीएनपी के शासनकाल के दौरान भ्रष्टाचार विरोधी निगरानी संस्था ट्रांस्पेरेंसी इंटरनेशनल द्वारा लगातार पांच वर्षों तक बांग्लादेश को दुनिया में सबसे भ्रष्ट देश के रूप में स्थान दिया गया. बांग्लादेश में कट्टरवाद फला-फूला, राजनीतिक विरोधियों और देश के अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ रिकॉर्ड हिंसक घटनाएं हुईं. इसलिए, यह निर्णय इस मिथक को तोड़ता है कि राजनीतिक दिग्गज कानून को तोड़ने और सार्वजनिक विश्वास का उल्लंघन करने के नतीजों से बच सकते हैं. यह बांग्लादेश के लिए एक मजबूत संदेश है कि शक्तिशाली राजनेताओं को भ्रष्टाचार के लिए दंडित किया जा सकता है.
सवाल है कि बांग्लादेश की राजनीति में इस फैसले का क्या असर हो सकता है? पहले और सबसे महत्वपूर्ण, न्यायालय के इस निर्णय के परिणामस्वरूप इस साल के आखिर में होनेवाले आम चुनावों में चुनाव लड़ने के लिए जिया और उनके बेटे तारिक को रोका जा सकता है. जिया की कारावास के बाद उनकी पार्टी ने फैसला किया है कि बीएनपी का नेतृत्व अब तारिक रहमान द्वारा किया जायेगा, जो निर्वासन में हैं और उन्हें भी 10 साल की सजा सुनायी गयी है. मां से बेटे को शक्ति का यह हस्तांतरण दक्षिण एशियाई वंशानुगत राजनीति की वास्तविकता है. यह निर्णय आगामी चुनाव में बीएनपी के लिए एक गंभीर चुनौती बन सकता है और शायद पार्टी के भविष्य के लिए हानिकारक भी.
पिछले कुछ वर्षों में अवामी लीग ने कई संस्थानों पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली है और आर्थिक रूप से बांग्लादेश ने अपनी स्थिति में सुधार किया है. यद्यपि, वर्तमान सरकार के खिलाफ कुछ असंतोष और राजनीतिक हिसाब चुक्ता करने के आरोप हैं, लेकिन अवामी लीग इस नतीजे का राजनीतिक लाभ ले सकती है.
एक विश्वसनीय विपक्ष के अभाव में सत्तारूढ़ पार्टी के लिए पारदर्शिता को पेश करने, संस्थाओं को मजबूत बनाने और समावेशी विकास लाने के लिए एक प्रभाव पैदा करना आसान होगा. हालांकि, इस बात का डर है कि राष्ट्रीय चुनाव में एक सशक्त विपक्ष के अभाव में अवामी लीग सार्वजनिक और पक्षपातपूर्ण हितों के बीच की रेखा को और भी धुंधला कर सकता है. निश्चित रूप से, बांग्लादेश के राजनीतिक दलों को तेजी से बढ़ती आकांक्षाओं और समाज की उम्मीदों के साथ बदलने की जरूरत है.पाकिस्तान के विपरीत, बड़े पैमाने पर बांग्लादेश की सेना ने राजनीति में एक संतुलन बनाये रखा है.
इसलिए यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सेना पूरी चुनाव प्रक्रिया में कैसा रुख अपनाती है.
राजनीतिक स्थिरता और राजनीतिक दलों की जवाबदेही वहां की राजनीति में नये युग का आगाज कर सकती है और राजनीतिक संस्थाओं को मजबूत कर सकती है. परिवार में शक्ति रखकर यदि बीएनपी वास्तविकता की उपेक्षा करती है, तो यह बीएनपी के अप्रासंगिकता की शुरुआत और अवामी लीग के और भी मजबूत होने का संकेत है. उत्तरदायित्व और पारदर्शिता के तत्वों के समावेश से ही बांग्लादेश में एक स्वच्छ और स्वस्थ राजनीति विकसित हो सकती है.
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