आम आदमी के पैसे लुटाते बैंक

II आशुतोष चतुर्वेदी II प्रधान संपादक, प्रभात खबर ashutosh.chaturvedi @prabhatkhabar.in देश के दूसरे सबसे बड़े सरकारी बैंक- पंजाब नेशनल बैंक में 11 हजार 500 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया है. जो नये तथ्य सामने आ रहे हैं, उनके अनुसार यह घोटाला और बड़ा हो सकता है. इसके पहले कई और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 19, 2018 6:54 AM
II आशुतोष चतुर्वेदी II
प्रधान संपादक, प्रभात खबर
ashutosh.chaturvedi
@prabhatkhabar.in
देश के दूसरे सबसे बड़े सरकारी बैंक- पंजाब नेशनल बैंक में 11 हजार 500 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया है. जो नये तथ्य सामने आ रहे हैं, उनके अनुसार यह घोटाला और बड़ा हो सकता है. इसके पहले कई और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक बड़े कॉरपोरेट घरानों को करोड़ों का कर्ज देकर हाथ जला चुके हैं.
यह मामला तो बेहद गंभीर है. यह घपला पिछले सात साल से चल रहा था. चेयरमैन व प्रबंध निदेशक सुनील मेहता का कहना है कि यह केवल बैंक की एक ब्रांच और दो कर्मियों तक सीमित था और किसी को इसकी भनक नहीं थी. उनका यह तर्क किसी के गले नहीं उतर सकता. सात साल से यह घोटाला चल रहा था, साढ़े 11 हजार करोड़ का चूना केवल दो बैंक कर्मचारियों की मिलीभगत से लग गया और किसी को कानों-कान खबर नहीं हुई. पीएनबी को कितना गंभीर आर्थिक झटका लगा है, उसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उसका बाजार पूंजीकरण आठ हजार करोड़ रुपये घट गया है, जो पूरे साल के मुनाफे का छह गुना है. मामले में सीबीआइ ने ज्वेलरी डिजाइनर नीरव मोदी, उनकी पत्नी, भाई और व्यापारिक भागीदार और उसके मामा मेहुल चोकसी के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है. शनिवार को सीबीआइ ने बैंक के पूर्व डिप्टी मैनेजर गोकुलनाथ शेट्टी, सिंगल विंडो ऑपरेटर मनोज खरात और हेमंत भट्ट को गिरफ्तार कर लिया.नीरव मोदी के पिता हीरा कारोबारी थे और वह बेल्जियम चले गये थे. 19 साल की उम्र में नीरव वापस मुंबई आया.
कहा जाता है कि मुंबई में उसने अपने मामा मेहुल चोकसी से धंधा करना सीखा. पीएनबी घोटाले में आरोपी मेहुल भी विदेश भाग गया है. बैंक ने अपने 18 कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है. पीएनबी में हेराफेरी की खबर के बाद केंद्र सरकार और बैंकिंग क्षेत्र में हड़कंप है. वित्त मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि ऐसी स्थिति नहीं है, जिसे बेकाबू कहा जाये. लेकिन, वित्त मंत्रालय के अधिकारी इन खबरों से चिंतित हैं कि इसके तार कुछ दूसरे सरकारों बैंकों से भी जुड़े हुए हैं.
इस मामले पर जमकर राजनीति हो रही है. कांग्रेस और भाजपा एक-दूसरे पर आरोपों के तीर छोड़ यह साबित करने की कोशिश कर रही हैं कि किसकी कमीज ज्यादा सफेद है, क्योंकि यह घोटाला यूपीए सरकार के दौरान शुरू हुआ था और एनडीए तक बेरोकटोक चला आया.
भनक लगते ही और एफआइआर दर्ज होने से पहले नीरव मोदी, उनकी पत्नी, भाई, मामा और उनका परिवार देश छोड़कर चले गये. दिलचस्प तथ्य यह है कि नीरव मोदी की पत्नी अमेरिकी और भाई बेल्जियम का नागरिक है. कुल मिलाकर यह कि उनको भारत पकड़कर लाना बहुत टेढ़ी खीर होगा. हाल में नीरव मोदी स्विटजरलैंड के दावोस में प्रधानमंत्री मोदी के दौरे के दौरान नजर आया था.
हालांकि तब उसके खिलाफ एफआइआर दर्ज नहीं हुई थी. आप कह सकते हैं कि यह बैंक से जुड़ा मामला है, हमारा इससे क्या लेना देना. पीएनबी सरकारी बैंक है यानी हम आप जो आयकर देते और गाढ़ी कमाई जमा करते हैं, उसका पैसा इसमें लगा हुआ है. इसका अर्थ यह है कि नीरव मोदी हमारे-आपके पैसों को चूना लगा कर विदेश भाग गया है. इसके पहले माल्या भी सरकारी बैंकों के पैसे से मौज करके लंदन भाग गया था. अमेरिका और पश्चिमी देशों में वित्तीय गड़बड़ियों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान है. साथ ही दोषियों को सजा जल्द सुना दी जाती है. लेकिन हमारे देश में वित्तीय फ्रॉड कर लोग देश छोड़ कर बेरोकटोक चले जाते हैं. ललित मोदी, विजय माल्या और अब नीरव मोदी का उदाहरण हमारे सामने है.
आइए, देखते हैं कि हीरा कारोबारी नीरव मोदी ने कैसे धोखाधड़ी की? पीएनबी ने नीरव मोदी से जुड़े फर्मों को साख पत्र (लेटर ऑफ अंडरटेकिंग) दिया. इसे उन्होंने विदेशों में विभिन्न बैंकों से भुनाया.
यह कारोबार बैंक के अधिकारियों की सांठगांठ से वर्ष 2011 से चल रहा था. जब एक उप-महाप्रबंधक रिटायर हुए, तो उनकी जगह आये एक अन्य अधिकारी ने इस मामले को उजागर किया, अन्यथा यह सिलसिला तो अनंत काल तक चलता रहता. नीरव मोदी से जुड़ी तीन फर्मों- डायमंड्स आर यूएस, सोलर एक्सपोर्ट्स, स्टेलर डायमंड्स ने बैंक से संपर्क कर बायर्स क्रेडिट की मांग की, जिससे वे अपने विदेश के कारोबारियों को भुगतान कर सकें. शिकायत के मुताबिक नीरव मोदी, निश्चल मोदी, अमी नीरव मोदी और मेहुल चोकसी इन फर्मों में पार्टनर थे. इन फर्मों को बिना किसी गारंटी के बायर्स क्रेडिट प्रदान कर दिया गया. इसके आधार पर हांगकांग की बैंक शाखाओं में धन का स्थानांतरण किया गया.
बायर्स क्रेडिट छोटी अवधि का क्रेडिट (90 से 180 दिनों) का होता है, जिसे अंतरराष्ट्रीय बैंक प्रदान करते हैं. यह आयात करने वाले बैंक से प्राप्त पत्र के आधार पर जारी होता है. इस क्रेडिट नोट के आधार पर नीरव मोदी ने अन्य सरकारी बैंकों से और लोन उठा लिया. खबरों के अनुसार लगभग तीन हजार करोड़ रुपये इसके आधार पर अन्य बैंकों से उठाये गये हैं. ऐसी सूचनाएं हैं कि यूनियन बैंक, इलाहाबाद बैंक और निजी क्षेत्र के एक्सिस बैंक ने भी पीएनबी की ओर से जारी साख पत्र (एलओयू) के आधार पर कर्ज दिये हैं. हालांकि इन बैंकों ने अभी इसकी पुष्टि नहीं की है.
घोटाला सामने आने के बाद बैंक और उनके अफसरों व कर्मियों पर भी सवाल उठने लगे हैं. आपको याद होगा कि नोटबंदी के दौरान इन्होंने कितना कोहराम मचाया था. खासकर सरकारी बैंकों ने कॉरपोरेट घरानों को हजारों करोड़ के कर्जे बांट रखे हैं और उनसे वसूली नहीं कर पा रहे हैं. अब उन्हें बट्टे खाते में डाल कर छुटकारा पाया जा रहा है. 2016-17 के दौरान देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआइ ने 20,339 करोड़ रुपये और पीएनबी ने 9205 करोड़ रुपये के कर्ज बट्टे खाते में डाले थे. चालू वित्त वर्ष के शुरुआती छह माह में अभी तक सरकारी बैंक 53,625 करोड़ रुपये के कर्ज बट्टे खाते में डाल चुके हैं.
एक आम आदमी और छोटे कारोबारी से पूछकर तो देखें, वह बतायेगा कि कर्ज लेने में कितनी परेशानी पेश आती है. मेरा निजी अनुभव भी बेहद खराब रहा है. वर्षों पहले जब मैंने एक फ्लैट के लिए कर्ज का आवेदन किया, तो मुझसे मेरी जीवन बीमा पॉलिसी रखवा ली गयी और दो गारंटर मांगे गये. यह सब उपलब्ध कराने के बाद ही किसी तरह कर्ज मिला.
हाल में झारखंड में एक शख्स ने मुद्रा लोन न चुका पाने के कारण आत्महत्या कर ली. दूसरी ओर नीरव मोदी जैसे लोग हैं, जिन्हें बिना किसी गारंटी के हजारों करोड़ का कर्ज मिल जाता है और उन्हें इसे चुकाने का कोई तनाव नहीं है. वक्त आ गया है कि केंद्र सरकार पूरी बैंकिंग व्यवस्था में सुधार के लिए आवश्यक कदम उठाये.

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