जमीनी रिपोर्ट के लिए चाची से भेंट
।। सतीश उपाध्याय।। (प्रभात खबर, पटना)इस लेख का किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति से कोई संबंध नहीं है. यदि ऐसा होता है, तो इसे मात्र एक संयोग कहा जायेगा. बिहार में दो चरण का मतदान हो जाने के बाद, वोटरों का मिजाज जानने के लिए दोस्तों के साथ पटना के एक गांव में जाने […]
।। सतीश उपाध्याय।।
(प्रभात खबर, पटना)
इस लेख का किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति से कोई संबंध नहीं है. यदि ऐसा होता है, तो इसे मात्र एक संयोग कहा जायेगा. बिहार में दो चरण का मतदान हो जाने के बाद, वोटरों का मिजाज जानने के लिए दोस्तों के साथ पटना के एक गांव में जाने का मौका मिला. गांव में ऐसे कई लोगों से मुलाकात हुई जो दिखने में आम थे, पर दूसरों पर खास छाप छोड़ते थे. इन्हीं में से एक सुभावती चाची थीं. ढलती उम्र में भी बुलंद आवाज. उन्हें देख कर मेरी हिम्मत तो नहीं हुई कि उनसे कुछ बातचीत की जाये, लेकिन क्षेत्र के लोगों ने बताया था कि चाची राजनीति की अच्छी समझ रखती हैं.
क्षेत्र में कोई भी जनप्रतिनिधि बिना इनके आशीर्वाद के क्षेत्र का भ्रमण नहीं करता. पहले तो मुङो ये सारी बातें बकवास लगी, लेकिन फिर सोचा एक बार इन्हें जांचने में क्या बुराई है. खैर, मैंने चाची को नमस्ते कहा. उन्होंने मुङो ऊपर से लेकर नीचे तक गौर से देखा, फिर बड़े प्यार से पूछा, ‘‘का बचवा कइसे आना हुआ.’’ मैंने कहा, ‘‘चाची, चुनाव के संबंध में कुछ जानकारी चाहिए थी. क्या इस बार आपने वोट डाला है?’’
उन्होंने कहा, ‘‘बेटा हम तो बहुत पहले से ही वोट देते आ रहे हैं. इस बार भी मैंने वोट दिया. मैं अपनी बहुओं के साथ हमेशा वोट देने जाती हूं और दूसरों को भी वोट देने के लिए प्रेरित करती हूं.’’ मुङो लगा, चलो सही जगह आना हुआ. अब तो जमीनी रिपोर्ट मिलेगी कि यहां किस प्रत्याशी का पलड़ा भारी है. मैंने चाची से कहा, ‘‘आपने वोट किसे दिया?’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह तो बताना नहीं चाहिए, लेकिन तुम सीधे-सादे लगते हो इसलिए तुम्हें बता देती हूं. वोट तो मैं किसी को नहीं देना चाहती थी, लेकिन कुछ प्रत्याशियों की जिद की वजह से वोट देने जाना पड़ा.
और रही बात इस बार वोट देने की तो अमुक प्रत्याशी से मैंने छोटे बेटे के नाम से राशन कार्ड बनवाने की गुहार लगायी थी सो उसे एक वोट, दूसरे से मैंने अपने पति के इलाज के लिए स्वास्थ्य बीमा कार्ड बनवाया था सो उसे एक वोट, तीसरे प्रत्याशी को मझले बेटे को मनरेगा में मजदूरी दिलाने के लिए वोट दिया है. इन्हीं प्रत्याशियों के पक्ष में परिवार के सदस्यों को भी वोट देने के लिए कहा है.’’ उनकी बात सुन कर मेरा दिमाग चकरा गया. मैंने जिज्ञाशावश उनसे पूछ ही लिया, ‘‘चाची आपने तीन प्रत्याशियों को वोट कैसे दिया.’’ उन्होंने कहा, ‘‘मशीन से.’’
मेरा मतलब तीनों को एक साथ कैसे? उन्होंने कहा, ‘‘यह तो हम पहले से करते आ रहे हैं. जब बैलेट पेपर से वोट पड़ता था, तब भी हम अपने चहेते सभी उम्मीदवारों के सामने ठप्पा लगाते थे. अब मशीन में सभी उम्मीदवारों के सामनेवाला बटन दबा देते हैं.’’ मन ही मन मुङो इतनी हंसी आयी कि मैं बता नहीं सकता. मैंने उन्हें प्रणाम किया और जानकारी के लिए धन्यवाद देकर चलता बना. अब आगे आप मेरी जमीनी रिपोर्टिग का सहज अंदाजा लगा सकते हैं.