झारखंड में नीति निर्धारण का अभाव

विद्यार्थियों द्वारा की जा रही आत्महत्याएं हमारी सामाजिक व्यवस्था का परिणाम है, जहां व्यवस्था युवाओं को प्रकाश से अंधकार, कुंठा और मानसिक अवसाद और एकाकीपन की तरफ धकेल रही है. अपनी आकांक्षाओं, संसाधनों और प्राप्त उपलब्धियों में सामंजस्य स्थापित नहीं कर पाने की वजह से युवा संघर्ष की जगह आत्महत्या का मार्ग चुन रहे हैं. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 28, 2018 4:15 AM

विद्यार्थियों द्वारा की जा रही आत्महत्याएं हमारी सामाजिक व्यवस्था का परिणाम है, जहां व्यवस्था युवाओं को प्रकाश से अंधकार, कुंठा और मानसिक अवसाद और एकाकीपन की तरफ धकेल रही है. अपनी आकांक्षाओं, संसाधनों और प्राप्त उपलब्धियों में सामंजस्य स्थापित नहीं कर पाने की वजह से युवा संघर्ष की जगह आत्महत्या का मार्ग चुन रहे हैं.

छात्र जितना राजनीति से दूर रहें उतना अच्छा है, खासकर झारखंड के विद्यार्थियोंं को इसे समझना बेहद जरूरी है. झारखंड खनिज संपदा में समृद्ध होने के बावजूद भी यहां आज विकास की गति कम है क्योंकि यहां सही नीति निर्धारण का अभाव है. किसी भी प्रदेश में वहां की जनता, वातावरण, संस्कृति और भाषा के अनुरूप नीति निर्धारण हो और जमीनी स्तर पर योजना का कार्यान्वयन हो, तभी विकास संभव है.

राहुल प्रसाद , पलामू

Next Article

Exit mobile version