Loading election data...

बेलगाम नेता

आजकल नेताओं की उद्दंडता और अनुशासनहीनता खुलेआम देखी जा रही है. सत्ता के मद में चूर होकर मान – मर्यादा का ख्याल रखे बिना अफसरों की पिटाई और अपशब्दों के प्रयोग की घटनाएं आम हैं. विडंबना है कि जिन कानूनों को नेता बनाते हैं और जिन्हें लागू कराने की जवाबदेही अफसरों की होती है, उनको […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 6, 2018 6:28 AM
आजकल नेताओं की उद्दंडता और अनुशासनहीनता खुलेआम देखी जा रही है. सत्ता के मद में चूर होकर मान – मर्यादा का ख्याल रखे बिना अफसरों की पिटाई और अपशब्दों के प्रयोग की घटनाएं आम हैं.
विडंबना है कि जिन कानूनों को नेता बनाते हैं और जिन्हें लागू कराने की जवाबदेही अफसरों की होती है, उनको तोड़ना नेता और उनके चेले-चपाटी अपना विशेषाधिकार समझते हैं. सच्चाई है कि नेता अफसरों से बहुत कम सही मामलों में पैरवी करते हैं.
लोकतंत्र के नाम पर जरूरत से ज्यादा राजनीतिक दखलंदाजी का नतीजा है पक्षपाती और निष्प्रभावी पुलिस तथा निस्तेज प्रशासन. कार्यपालिका भी कार्यकर्ताओं के दबाव में शासन तंत्र को खोखला करते जा रही है. अफसरों पर लगाम के कई वैधानिक रास्ते बने हुए हैं. नौकरशाही शासन के लिए औजार की तरह होती है. यदि ढंग से इसका प्रयोग करना न आया, तो नेतृत्व के लिए ही आत्मघाती होगा.
आभा कुमारी, इमेल से

Next Article

Exit mobile version