तृतीय लिंग की पीड़ा समझें

सुप्रीम कोर्ट द्वारा हिजड़ों को तीसरे वर्ग में रखे जाने तथा उन्हें भी आरक्षण का लाभ देने के ऐतिहासिक फैसले की इसलिए भी सराहना की जानी चाहिए क्योंकि इससे लाखों लोगों के लिए इज्जत की जिंदगी बसर करने का रास्ता खुला है. इस तबके के लोगों को किस जिल्लत की जिंदगी जीनी पड़ती है, यह […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 9, 2014 4:30 AM

सुप्रीम कोर्ट द्वारा हिजड़ों को तीसरे वर्ग में रखे जाने तथा उन्हें भी आरक्षण का लाभ देने के ऐतिहासिक फैसले की इसलिए भी सराहना की जानी चाहिए क्योंकि इससे लाखों लोगों के लिए इज्जत की जिंदगी बसर करने का रास्ता खुला है.

इस तबके के लोगों को किस जिल्लत की जिंदगी जीनी पड़ती है, यह किसी से भी छिपा नहीं है. कुछ लोग ट्रेनों में उनके भीख मांगने या फिर शादी-ब्याह, बच्चों के जन्म आदि के मौकों पर नाच-गा कर पैसे मांगने पर भी आक्रामक प्रतिक्रिया देते हैं, लेकिन ऐसे लोग उनकी पीड़ा नहीं समझते कि आखिर समाज ने उन्हें इस हाल में क्यों पहुंचाया?

आखिर वे भी इनसान हैं, तो उनके साथ दोयम दरजे का व्यवहार क्यों? आज का युवा वर्ग समझदार है, कम से कम उसे इनकी पीड़ा समझनी चाहिए और आगे आकर उनका हक दिलाने के लिए प्रेरित करना चाहिए.

राकिया खानम, बेगूसराय

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