नैतिक शिक्षा पाठ्यक्रम में शामिल हो
किसी भी समाज की व्यवस्था एवं सांस्कृतिक दशा उसकी शिक्षण व्यवस्था से जुड़ी हुई होती है. किसी भी देश की शिक्षण व्यवस्था ही वहां की सामाजिक व्यवस्था का ताना-बाना बुनती है. लगभग 10-12 वर्ष पहले हमारे समय में नैतिक शिक्षा की पुस्तक पढ़ाई जाती थी. यह हमारे पाठ्यक्रम का एक अंग थी, लेकिन धीरे-धीरे इसे […]
किसी भी समाज की व्यवस्था एवं सांस्कृतिक दशा उसकी शिक्षण व्यवस्था से जुड़ी हुई होती है. किसी भी देश की शिक्षण व्यवस्था ही वहां की सामाजिक व्यवस्था का ताना-बाना बुनती है. लगभग 10-12 वर्ष पहले हमारे समय में नैतिक शिक्षा की पुस्तक पढ़ाई जाती थी. यह हमारे पाठ्यक्रम का एक अंग थी, लेकिन धीरे-धीरे इसे पाठ्यक्रम से हटा दिया गया, जिसके कारण आज के अनैतिक वातावरण में बच्चों द्वारा नैतिक शिक्षा का अवलोकन नहीं हो पा रहा है.
फलस्वरूप नैतिकता का दिन-ब-दिन ह्रास होता जा रहा है. आये दिनों कई प्रकार की ऐसी घटनाएं परिलक्षित होती हैं, जिनसे पता चलता है कि हमारे समाज में नैतिक मूल्यों का लगातार अवमूल्यन हो रहा है. इसका एक मात्र कारण हमारी शैक्षणिक व्यवस्था ही है. इसलिए शिक्षा मंत्री एवं संबंधित पदाधिकारियों से आग्रह है कि नैतिक मूल्यों को ध्यान में रखते हुए नैतिक शिक्षा को पुनः पाठ्यक्रम में शामिल करें.
गुलाम गौस आसवी, धनबाद