Advertisement
ताकि वायरल न हों अफवाहें
शफक महजबीन टिप्पणीकार शायर डाॅ राहत इंदौरी का एक शे’र है- अफवाह थी कि मेरी तबीयत खराब है/ लोगों ने पूछ-पूछ के बीमार कर दिया… अफवाह ऐसी चीज है कि अगर किसी की निजी जिंदगी को लेकर उड़ायी जाये, तो उसकी जिंदगी दूभर हो जाती है. अफवाहों से जानें गयी हैं, सामुदायिक हिंसा तक हुई […]
शफक महजबीन
टिप्पणीकार
शायर डाॅ राहत इंदौरी का एक शे’र है- अफवाह थी कि मेरी तबीयत खराब है/ लोगों ने पूछ-पूछ के बीमार कर दिया… अफवाह ऐसी चीज है कि अगर किसी की निजी जिंदगी को लेकर उड़ायी जाये, तो उसकी जिंदगी दूभर हो जाती है.
अफवाहों से जानें गयी हैं, सामुदायिक हिंसा तक हुई हैं. भूत-प्रेत की अफवाह उड़ाकर भी दहशत का माहौल बना दिया जाता है. ऐसे में यह समझना जरूरी है कि किसी अफवाह पर यकीन न करें और हो सके तो उसे वायरल होने से रोकें. क्योंकि आजकल अफवाह फैलती नहीं, बल्कि वायरल होती है.
हाल ही में जाने-माने एक्टर इरफान खान को लेकर एक खबर आयी कि उन्हें कोई दुर्लभ बीमारी है. सोशल मीडिया ने इसे जंगल की आग की तरह फैला दिया. किसी को भी इरफान खान की निजता का ख्याल नहीं आया और न ही यह समझने की कोशिश हुई कि सच्चाई क्या है.
जब तक सच्चाई सामने नहीं आती, तब तक वह सच्चाई नहीं होती. इसीलिए प्रेस आयोग द्वारा पत्रकारिता के सिद्धांत में यह बताया गया है कि झूठी बातों का प्रसार और बिना किसी सबूत के किसी की निजी बात को फैलाना या किसी पर कोई गंभीर आरोप लगाना नैतिक तौर पर गलत है.
मीडिया में हो या सोशल मीडिया में, किसी भी इंसान की पर्सनल लाइफ में दखल देना कतई सही नहीं है. हर इंसान की प्रोफेशनल लाइफ से हटकर एक पर्सनल लाइफ होती है, जिसे वह अपने तरीके से जीना चाहता है.
और उस जिंदगी को वह सबसे शेयर भी नहीं करना चाहता. ऐसे में अगर उसकी पर्सनल लाइफ के बारे में अगर कहीं ऐसी बात फैले, जिसमें कोई सच्चाई ही न हो, तो आप खुद ही सोचिये कि उस पर क्या गुजरेगी? कई सेलेब्रिटीज तो अक्सर यह कहते हैं कि लोगों द्वारा उनसे बहुत ज्यादा पर्सनल सवाल पूछे जाते हैं. जाहिर है, उन्हें बुरा तो लगता ही है. किसी की निजी जिंदगी में झांकना बहुत गलत बात है, खास तौर से इस वायरल दौर में.
पढ़े-लिखे और समझदार लोगों का समाज होने के बावजूद आज भी लोगों में जागरूकता की इतनी कमी है कि अफवाहों के फैलने में जरा भी देर नहीं लगती. इससे समाज के स्तर का पता चलता है. यह भी समझ में आता है कि लोगों का ध्यान फालतू की अटकलों में ज्यादा लगता है. ऐसे लोगों की वजह से समाज की छवि खराब होती है. कुछ शोधों से पता चला है कि झूठी खबर फैलाने के मामले में भारतीय आगे हैं.
सोशल मीडिया के जरिये अगर हमें इरफान खान के बीमार होने का पता चल भी गया, तो उनकी सेहत के लिए दुआ करना अच्छी बात है, लेकिन किसी गंभीर और भयानक बीमारी की अटकल लगाकर उसे मीडिया में वायरल खबर बना देना निहायत ही गलत बात है. हमें साोचना चाहिए कि अगर हमारे साथ भी ऐसा हो, तो क्या वह सही होगा?
भाग-दौड़ वाली जिंदगी में लोगों के पास किसी का हाल-चाल पूछने तक का वक्त नहीं है, लेकिन वहीं सोशल मीडिया पर बैठकर कोई अच्छी बात करने के बजाय किसी की निजी जिंदगी की बातों को अफवाह के रूप में फैलाने में लोग लगे रहते हैं. इससे हमें बचा जाना चाहिए, ताकि वायरल न हों अफवाहें.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement