सरकार की ओछी मानसिकता
हजारों वर्ष पहले जब आदिवासी एशिया माइनर से मोहनजोदड़ो होते हुए भारत तक खदेड़े गये थे, तो उन्होंने अपने कब्रिस्तान तथा पूजास्थलों पर पत्थर गाड़ा है. देश में जहां कहीं भी आदिवासियों का निवास स्थान रहा है, पत्थलगड़ी किया है. आज भी अपने अस्तित्व और अधिकार जताने के लिए आदिवासी पत्थलगड़ी की प्रथा को जारी […]
हजारों वर्ष पहले जब आदिवासी एशिया माइनर से मोहनजोदड़ो होते हुए भारत तक खदेड़े गये थे, तो उन्होंने अपने कब्रिस्तान तथा पूजास्थलों पर पत्थर गाड़ा है. देश में जहां कहीं भी आदिवासियों का निवास स्थान रहा है, पत्थलगड़ी किया है.
आज भी अपने अस्तित्व और अधिकार जताने के लिए आदिवासी पत्थलगड़ी की प्रथा को जारी रखे हैं. यह सीएनटी द्वारा प्राप्त उनका संवैधानिक अधिकार है. लेकिन मुख्यमंत्रीजी को यह खल रहा है. विदेशी पूंजी को झारखंड में आमंत्रित करने के बाद अब उनको जमीन देने के लिए उनकी निगाह आदिवासियों की जमीन पर है. उनके पूजास्थलों, मैदान, चारागाहों आदि को लैंड बैंक में शामिल कर रहे हैं.
अब जब आदिवासी अपने अधिकार व अस्तित्व के लिए पत्थलगड़ी कर रहे हैं, तो सरकार उसे असंवैधानिक कह रही है. माननीय मुख्यमंत्रीजी से कहना है कि आप राज्य के लोगों के पिता के समान हैं और इस नाते आप सभी धर्म व जातियों के बेटे-बेटियों को समान दृष्टि से देखें. सबका समान हित हो.
एपी प्रसाद, चक्रधरपुर