वर्तमान में पूरे देश में जिस तरह की राजनीति चल रही है, वह हमारे देश और युवाओं के भविष्य के लिए कतई शुभ संकेत नहीं है, चाहे वह किसी भी पार्टी के नेता क्यों न हों, सब अपने फायदे के लिए युवाओं की बलि चड़ा रहे हैं. उम्मीद के साथ जनता वोट करती है ताकि उनकी समस्या दूर हो, पर उम्मीदों पर पानी तब फिरता है, जब कोई भी उम्मीद पर खड़े न हो. लाखों युवा देश में बेरोजगार पड़े हैं, पर देश की राजनीति का कोई असर बेरोजगारों पर नहीं पड़ती क्योंकि इन्हें तो अपने काम से मतलब है.
अब वक्त आ गया है कि पूरे देश में चाहे वह कोई भी राजनीति पार्टी क्यों न हो, बेरोजगारी पर बहस कर के दिखाये और इसकी पूरी जिम्मेवारी चौथे स्तंभ- पत्रकार मित्रों को भी लेनी पड़ेगी. उन्हें युवाओं की आवाज बननी पड़ेगी.
सुमंत चौधरी, इमेल से