आदिम जनजाति के बच्चों की शिक्षा

झारखंड सरकार आदिम जनजाति के आवासीय विद्यालयों में प्रथम वर्ग में नामांकन व्यवस्था को विचाराधीन रख कर हजारों बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है. आदिम जनजाति के उत्थान के लिए राज्य सरकार अनेक योजनाओं की घोषणा करती रहती है, वहीं इस समाज की नींव को ही शिक्षा विहीन कर अपंग बनाने में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 28, 2018 7:08 AM
झारखंड सरकार आदिम जनजाति के आवासीय विद्यालयों में प्रथम वर्ग में नामांकन व्यवस्था को विचाराधीन रख कर हजारों बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है. आदिम जनजाति के उत्थान के लिए राज्य सरकार अनेक योजनाओं की घोषणा करती रहती है, वहीं इस समाज की नींव को ही शिक्षा विहीन कर अपंग बनाने में लगी हुई है. शिक्षा के क्षेत्र में यह समाज आज भी पीछे है.
बच्चे आवासीय सुविधाओं में रह कर अपनी दैनिक जीवन शैली में नियमित रूप से सुधार कर पाते हैं. अगर सरकार प्रथम वर्ग के आवासीय व्यवस्था को समाप्त कर देती है, तो बच्चों का पढ़ाई में अभिरुचि कम हो जायेगी और वे भेड़-बकरी चराने तक सीमित रह जायेंगे. सरकार से आग्रह है कि वर्तमान शैक्षणिक स्थिति का अनुकरण करते हुए इस समाज के लिए भी स्मार्ट विद्यालयों के विषय में सोचे तथा प्रथम वर्ग में नामांकन को पुनः चालू करे.
नवल किशोर सिंह, दुमका

Next Article

Exit mobile version