स्वायत्तता का छलावा

हमारा लोकतंत्र फिफ्टी-फिफ्टी है. यानी आधा लोकतंत्र और आधा राजतंत्र. जिस तरह राजतंत्र में राजा सर्वेसर्वा हुआ करता था, वैसे ही अब प्रधानमंत्री के पास सभी शक्तियां हैं. कहने को विभिन्न सरकारी विभाग स्वतंत्र हैं. कई तो स्वायत्त हैं. मगर नहीं, वास्तव में सभी सरकार के अधीन लगती है. एक प्रकार से आदेशपाल की तरह […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 29, 2018 6:40 AM

हमारा लोकतंत्र फिफ्टी-फिफ्टी है. यानी आधा लोकतंत्र और आधा राजतंत्र. जिस तरह राजतंत्र में राजा सर्वेसर्वा हुआ करता था, वैसे ही अब प्रधानमंत्री के पास सभी शक्तियां हैं. कहने को विभिन्न सरकारी विभाग स्वतंत्र हैं.

कई तो स्वायत्त हैं. मगर नहीं, वास्तव में सभी सरकार के अधीन लगती है. एक प्रकार से आदेशपाल की तरह हैं. कर्नाटक चुनाव की तिथियों के एलान के लिए मुख्य चुनाव आयुक्त संवाददाता सम्मेलन करते हैं, लेकिन उससे आधा घंटा पहले कुछ न्यूज चैनल एवं भाजपा का आइटी सेल ट्वीट करके तारीख पहले ही बता देता है. चुनाव आयोग एक बार नहीं, बार-बार अपने कार्यों से अपनी असलियत बयां कर चुका है.

वह चाहे ‘आप’ के 20 विधायक के मामले में अति जल्दबाजी हो या गुजरात चुनाव में गिनती का तिथि का एलान पहले करना हो या चुनाव की तिथि एक सप्ताह बाद घोषित करना हो. इस देश में जितनी भी संस्थाएं स्वायत्त होने का दंभ भरते हैं, वो एक छलावा एवं झूठ है.

जंग बहादुर सिंह, इमेल से

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