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बर्बादी या सौंदर्यीकरण
कुछ दिनों से मोरहाबादी मैदान में क्या निर्माण कार्य चल रहा है, यह समझ से परे है. कुछ लोगों ने बताया कि इसे टाइम्स स्क्वायर के रूप में विकसित किया जा रहा है, पर यह बात समझ से बाहर है कि इसकी जरूरत ही क्या है? यह सिर्फ मैदान ही नहीं, एक आयोजन स्थल है, […]
कुछ दिनों से मोरहाबादी मैदान में क्या निर्माण कार्य चल रहा है, यह समझ से परे है. कुछ लोगों ने बताया कि इसे टाइम्स स्क्वायर के रूप में विकसित किया जा रहा है, पर यह बात समझ से बाहर है कि इसकी जरूरत ही क्या है?
यह सिर्फ मैदान ही नहीं, एक आयोजन स्थल है, जहां राष्ट्रीय पर्व पर परेड का आयोजन होता है. अब लोग किस तरफ से उसे देख पायेंगे?
इतने बड़े-बड़े लोहे के ढांचे खड़े किये जा रहे हैं कि अब यह सौंदर्यीकरण कम, बर्बादी ज्यादा लग रहा है. लोगों के सुबह के घूमने की जगह, गाड़ी सीखने की जगह, मेले लगाने की जगह अब खतरे में पड़ गयी है. यह काम शुरू करने से पहले लोगों से उनकी राय भी नहीं मांगी गयी. सौंदर्यीकरण के नाम पर पेड़-पौधे भी लगाये जा सकते थे, पर सरकार ने इसकी जरूरत ही नहीं समझी.
सतीश भगत, इमेल से
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