‘लव यू मॉम’ के पीछे की सच्चाई
पंकज कुमार पाठक प्रभात खबर, रांची मेरे सामने की बिल्डिंग में रहनेवाला बीस साल का एक नौजवान, मेरा फेसबुक फ्रेंड भी है. बीते रविवार, सुबह दस बजे की बात है. मैं अपनी बालकनी में बैठा अखबार पढ़ रहा था. सामने की बालकनी की खुली खिड़की भीतर के जिस कमरे के दृश्य का ‘लाइव टेलिकास्ट’ कर […]
पंकज कुमार पाठक
प्रभात खबर, रांची
मेरे सामने की बिल्डिंग में रहनेवाला बीस साल का एक नौजवान, मेरा फेसबुक फ्रेंड भी है. बीते रविवार, सुबह दस बजे की बात है. मैं अपनी बालकनी में बैठा अखबार पढ़ रहा था. सामने की बालकनी की खुली खिड़की भीतर के जिस कमरे के दृश्य का ‘लाइव टेलिकास्ट’ कर रही थी, वह कमरा उस नौजवान की बपौती थी. कूलर से निकलती ठंडी हवाओं में सोया वह नौजवान, स्वप्नलोक की सैर कर ही रहा था कि अचानक वहां आकर किसी ने कूलर बंद कर दिया.
सुबह के दस बजने की बात कही और उठने का दबाव बनाया. कूलर का प्रभाव खत्म होते ही कमरे में गर्मी ने धावा बोल दिया. परिणामस्वरूप नौजवान झल्लाते-बड़बड़ाते हुए उठा. वापस कूलर चलाया और पलंग पर ढेर होते हुए धमकी के अंदाज में बोला- अब तुमने कूलर बंद किया तो देख लेना!.. इस तरह पहला दृश्य समाप्त हुआ और मैं भी दूसरी चीजों में व्यस्त हो गया. अचानक ऊंची आवाज में बज रहे एक गीत ने मेरा ध्यान खींचा- तुझसे मिलने की तमन्ना है, प्यार का इरादा है.. मैं वापस बालकनी में आया. वह नौजवान अपने कमरे में यह गाना बजा रहा था.
मैं विरोध करता इससे पहले ही कमरे में वो आयीं, जिन्होंने घंटे भर पहले आकर कूलर बंद किया था. आवाज कम करने की बात कहते ही नौजवान उन पर भड़क गया. दोनों में बहस हुई. हार कर वह महिला बाहर चली गयी. कूलर बंद करनेवाली और नौजवान से बहस में हारनेवाली, उस नौजवान की मां थी. पिछले दो घंटों की यह कहानी मैंने पत्नी को सुनायी. हंसते हुए वह बोली- ‘‘आप तो आज देख रहे हैं न! रोज वह ऐसा ही करता है. घर में रहता है, तो अपनी मां से किसी न किसी बात पर लड़ता ही रहता है. छोड़िए, जाने दीजिए!’’ मैंने भी बात वहीं छोड़ दी. शाम पांच बजे मैंने अपना फेसबुक अकाउंट खोला. ‘मदर्स डे’ के अवसर पर अपनी मां को याद करनेवालों के संदेशों से भरा हुआ था फेसबुक. मेरी नजर उस नौजवान का स्टैटस पढ़ते हुए रुक गयी, जिसकी तारीफ में मैंने इतना लिख दिया. छोटी सी कविता के पहले उसने लिखा था- मॉम, आइ लव यू.. यू आर द बेस्ट मॉम ऑफ द वर्ल्ड ..
मां तेरी याद सताती है, मेरे पास आ जाओ
थक गया हूं, मुङो अपने आंचल में सुलाओ
उंगलियां अपनी फेर कर बालों में मेरे
एक बार फिर से बचपन की लोरियां सुनाओ.
सैकड़ों लाइक और तारीफों के कमेंट्स उसके इस स्टैटस में चार चांद लगा रहे थे. कापी और पेस्ट की कला के जरिये लिखे गये इस स्टैटस और उस पर आये हुए कमेंट पढ़ते हुए मैं अपनी हंसी नहीं रोक पाया. पत्नी को पढ़ाया, तो वह भी हंसते हुए बोली- ‘‘ठीक ही सब ‘फेसबुक’ को ‘फेकबुक’ कहता है.’’