केंद्र में भाजपा के नेतृत्व में गठबंधन सरकार बनने की संभावनाओं ने शेयर बाजार की उम्मीदों को पंख लगा दिये हैं. सेंसेक्स सोमवार को 23,558.68 अंकों पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी भी कारोबार के दौरान 7000 अंकों के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार कर 7,016.95 पर बंद हुआ. बाजार के उत्साह का असर डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमतों पर भी पड़ा है. पिछले दस महीने की अवधि में सर्वाधिक मजबूती दर्ज करते हुए रुपया 59.51 प्रति डॉलर तक पहुंच चुका है.
चुनावों के दौरान मीडिया की रिपोर्टो और विभिन्न ओपिनियन पोल के रुझानों के आधार पर कारोबारियों का अनुमान है कि 16 मई के नतीजों में एनडीए को सरकार बनाने के लिए जरूरी बहुमत मिल जायेगा. साथ ही निवेशकों को भरोसा है कि संभावित एनडीए सरकार आर्थिक मोरचे पर बाजार के अनुकूल नीतियां बनायेगी और निवेश को बढ़ावा देने के लिए कदम उठायेगी. हालांकि चुनाव के वास्तविक नतीजे 16 मई को आयेंगे और एक्जिट पोल के नतीजे आखिरी चरण के मतदान के बाद शाम में प्रसारित हुए हैं, लेकिन संदेह जताया जा रहा है कि शेयर बाजार के बड़े खिलाड़ियों को एक्जिट पोल के अनुमानों की भनक पहले ही लग गयी थी. यह भी कहा जा रहा है कि बड़े निवेशकों ने मतदाताओं के रुख को भांपने के लिए अपने स्तर पर भी एक्जिट पोल कराया है.
कुछ जानकारों का यह भी मानना है कि बाजार नतीजों से पहले मीडिया रिपोर्टो से बने माहौल का लाभ उठा लेना चाहता है. दूसरी ओर जानकारों का कहना है कि एनडीए को बहुमत न मिलने की स्थिति में बाजार एक दिन में आठ से दस फीसदी तक गिर सकता है और अगले कुछ दिनों में गिरावट की दर 20 फीसदी तक पहुंच सकती है. ध्यान रहे कि 2004 में वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की पराजय की खबर ने शेयर बाजार को अभूतपूर्व झटका दिया था. उस वर्ष 17 मई को सेंसेक्स ने जिस निचले स्तर को छुआ था, वहां पलट कर कभी नहीं लौटा, जबकि पांच साल बाद 18 मई, 2009 को बाजार खुलते ही सेंसेक्स और निफ्टी ने ऊपरी सर्किट को छू लिया था. जाहिर है, इस वक्त दावं लगाना जोखिम भरा हो सकता है. इसलिए विश्लेषक खुदरा निवेशकों को सावधानी बरतने की सलाह दे रहे हैं.