बेटी की पुकार
आज देश में जो हो रहा है, उसे देख तो बेटियां यही बोलेंगी, ‘अच्छा होता, हमें भ्रूण में ही मार देते’. ऐसा इसलिए कह रहा हूं, क्योंकि देश में बलात्कार की घटनाएं बढ़ती ही जा रही हैं. अगर बेटी नहीं होती, तो शायद बलात्कार की घटना भी नहीं होती, पर क्या यह संभव है? हमारी […]
आज देश में जो हो रहा है, उसे देख तो बेटियां यही बोलेंगी, ‘अच्छा होता, हमें भ्रूण में ही मार देते’. ऐसा इसलिए कह रहा हूं, क्योंकि देश में बलात्कार की घटनाएं बढ़ती ही जा रही हैं.
अगर बेटी नहीं होती, तो शायद बलात्कार की घटना भी नहीं होती, पर क्या यह संभव है? हमारी मां, बहनें, बेटियां, सहेलियां, पत्नी सभी पहले बेटी ही होती हैं. अगर उनको जन्म ही न दिया जाये, तो क्या जीवन संभव है? समझ नहीं आता आखिर क्या हो गया है लोगों को?
क्या मिलता है इंसानियत को शर्मसार करके? उनको भी जीवन देने वाली उनकी मां एक बेटी ही है. किसी मासूम की जिंदगी बर्बाद करके उन्हें कैसा सुकून मिलता है? आज हर बेटी यही पुकार रही है कि आखिर उनकी गलती क्या है, जो उनके साथ ऐसा किया जाता है?
ओमकार कुशवाह, हजारीबाग