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जीएसटी को सुलभ बनाना होगा

जीएसटी का तंत्र अभी भी कई जटिलताओं से लैस है, लेकिन यह ठीक नहीं कि एक ओर जटिल प्रावधानों की शिकायत की जाये और दूसरी ओर टैक्स बचाने-छिपाने का काम भी किया जाये. ऐसा होगा, तो फिर जीएसटी काउंसिल भी व्यवस्था के छिद्र को भरने हेतु नये-नये उपाय तलाशने को विवश होगी. जीएसटी काउंसिल डाल-डाल, […]

जीएसटी का तंत्र अभी भी कई जटिलताओं से लैस है, लेकिन यह ठीक नहीं कि एक ओर जटिल प्रावधानों की शिकायत की जाये और दूसरी ओर टैक्स बचाने-छिपाने का काम भी किया जाये. ऐसा होगा, तो फिर जीएसटी काउंसिल भी व्यवस्था के छिद्र को भरने हेतु नये-नये उपाय तलाशने को विवश होगी.
जीएसटी काउंसिल डाल-डाल, तो टैक्स बचाने वाले पात-पात. यह किसी से छिपा नहीं कि जुलाई-दिसंबर के बीच जीएसटी नेटवर्क में फाइल रिटर्न्स की छानबीन के दौरान यह संदेह उपजा कि कारोबारियों ने करीब 34 हजार करोड़ रुपये की टैक्स देनदारी छिपा ली.
अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड ने देशभर में सौ से ज्यादा प्रतिष्ठानों में चार सौ करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी का पता लगाया. इन प्रतिष्ठानों ने जीएसटी वसूल तो लिया, लेकिन उसे सरकारी खजाने में जमा नहीं कराया. नि:संदेह जीएसटी को और सुगम व पारदर्शी बनाने की जरूरत है.
डाॅ हेमंत कुमार, इमेल से

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