पानी का मोल समझना जरूरी

झारखंड में ऐसे कई प्राचीन तालाब हैं, जो अपनी प्राचीनता व मीठे जल के लिए प्रसिद्ध रहे हैं, लेकिन अब वे काफी समय से अपनी बदहाली पर रो रहे हैं. कई तालाबों की सफाई वर्षो से नहीं हुई है. तालाब के आस-पास तरह-तरह की गंदगी बिखरी रहती है. किनारे में भारी मात्र में पॉलिथीन की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 16, 2014 3:46 AM

झारखंड में ऐसे कई प्राचीन तालाब हैं, जो अपनी प्राचीनता व मीठे जल के लिए प्रसिद्ध रहे हैं, लेकिन अब वे काफी समय से अपनी बदहाली पर रो रहे हैं. कई तालाबों की सफाई वर्षो से नहीं हुई है. तालाब के आस-पास तरह-तरह की गंदगी बिखरी रहती है. किनारे में भारी मात्र में पॉलिथीन की थैलियां तैरती नजर आती हैं. यही नहीं, लोग इनमें रोजाना गंदे कपड़े धोते हैं.

वाहनों को धोते हैं. साथ ही जानवरों को भी नहालाते हैं. कई परिवार मजबूरन प्रदूषित पानी पीने को मजबूर हैं. कई बार तालाब को साफ करने के लिए सरकार के तरफ से पैसे भी दिये गये, लेकिन करोड़ों रुपये कहां गये किसी को नहीं पता. इसमें कोई दो-राय नहीं कि इस स्थान को स्वच्छ रखने के लिए नागरिकों को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी, परंतु स्थानीय प्रशासन से आग्रह है कि वह उचित कदम उठा कर तालाबों को साफ और सुरक्षित रखने का प्रयास करें.

शिवम कुमार, हजारीबाग

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