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पानी की किल्लत और मानसिकता
गर्मियों के मौसम की दस्तक होते ही चारों ओर पानी के लिए हाहाकार शुरू हो जाता हैं, पर वर्षा ऋतु शुरू होते ही सब कुछ भुला दिया जाता है. सब भूल जाते हैं कि गर्मी फिर आयेगी और एक बार फिर से पानी के लिए हाहाकार मचेगा. हमारी लॉटरी वर्षा के रूप में हर वर्ष […]
गर्मियों के मौसम की दस्तक होते ही चारों ओर पानी के लिए हाहाकार शुरू हो जाता हैं, पर वर्षा ऋतु शुरू होते ही सब कुछ भुला दिया जाता है. सब भूल जाते हैं कि गर्मी फिर आयेगी और एक बार फिर से पानी के लिए हाहाकार मचेगा. हमारी लॉटरी वर्षा के रूप में हर वर्ष लगती है, पर जल रूपी धन रुके कैसे, इस पर हम चिंता नहीं करते. हमने तो अपनी जेबें फाड़ रखी है.
वर्षा ऋतु में जब पानी की बहुलता होती है, तभी पानी पर्याप्त मात्रा में संचित कर लेना चाहिए. जलस्तर कम होने से गर्मी की शुरुआत में ही कई चापाकल, कुएं और छोटी बरसाती नदियां सूख जाती है. इसको रोकने के लिए सभी बड़ी इमारतों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम होना अत्यंत जरूरी है. जनभागीदारी से ही इस समस्या को सुलझाया जा सकता है.
सीमा साही, बोकारो
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