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अपने ही देश में गुलाम हैं हम
कहने को तो हमारा हिंदुस्तान 71 वर्ष पूर्व स्वतंत्र हो चुका है और सभी के लिए मौलिक अधिकार भी हैं लेकिन हर व्यक्ति कुछ पैमानों के भीतर बंधा हुआ है. बाहर जा रही अपनी बिटिया रानी से जल्दी घर लौट आने को कहते हैं क्योंकि आये दिन देश में बेटियों के साथ अप्रिय और घिनौनी […]
कहने को तो हमारा हिंदुस्तान 71 वर्ष पूर्व स्वतंत्र हो चुका है और सभी के लिए मौलिक अधिकार भी हैं लेकिन हर व्यक्ति कुछ पैमानों के भीतर बंधा हुआ है. बाहर जा रही अपनी बिटिया रानी से जल्दी घर लौट आने को कहते हैं क्योंकि आये दिन देश में बेटियों के साथ अप्रिय और घिनौनी घटना हो रही है. गहनों के साथ महिलाएं रात में अकेले नहीं घूम सकती क्योंकि कभी भी लूटपाट हो सकती है और विरोध करने पर जान भी गंवानी पड़ सकती है. काम करवाने के लिए सरकारी दफ्तर में रिश्वत भी देनी पड़ती है. हमारे कानून के हाथ लंबे तो हैं लेकिन रिश्वतखोरों से बंधे हुए हैं. तो क्या हम सच में स्वतंत्र हुए हैं? ऐसे हजारों किस्से मिल जाएंगे, जो साबित करते हैं कि हम अभी भी गुलाम हैं. उम्मीद है कि देश की यह सूरत बदलेगी और सरकार इस पर ध्यान देगी.
उत्सव रंजन, हजारीबाग
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