पानी में वीआईपी

कितने ही दिनों से आम जनता को हो रही पानी की लगातार किल्लत को खबर बनाते, प्रखर पत्रकार कलम सिंह ने प्रशासनिक अनदेखी व खास क्षेत्रों में जब मन चाहे जल-वितरण पर विरोधी शब्दों में लिखा कि कुप्रबंध के अमल के कारण जंग लगी प्रशासनिक मशीनरी निम्नतम जरूरत लायक पानी भी उपलब्ध करवाने में नाकामयाब […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 1, 2018 1:16 AM
कितने ही दिनों से आम जनता को हो रही पानी की लगातार किल्लत को खबर बनाते, प्रखर पत्रकार कलम सिंह ने प्रशासनिक अनदेखी व खास क्षेत्रों में जब मन चाहे जल-वितरण पर विरोधी शब्दों में लिखा कि कुप्रबंध के अमल के कारण जंग लगी प्रशासनिक मशीनरी निम्नतम जरूरत लायक पानी भी उपलब्ध करवाने में नाकामयाब है. मंत्रियों, नेताओं, वीआईपी व अन्य गणमान्य समझे, माने-जाने व कहलानेवाले विशिष्ट लोगों के घरों में पानी ही पानी है. उनकी शानदार गाड़ियां क्या, फर्श तक धोये जाते हैं. लॉन व उसमें कूदते कुत्तों को भी जलमग्न किया जाता है और इधर कई बस्तियों में कई दिन बाद थोड़ा पानी जाता है.
कई ग्रामीण इलाकों में मीलों दूर से पानी लाना पड़ता है. कई बुजुर्ग इस दौरान दम तोड़ देते हैं. पहले शासकीय अब विरोधी दल व नगर निगम के विपक्षी पार्षदों ने पानी न देने का कारण सरकार की दोहरी मानसिकता बताया. मुख्य आरोप रहा कि मंत्रियों व वीआईपीओं को गरमी के मौसम में भी चौबीस घंटे पानी मिलता है. पत्रकार रात को घर जा रहे थे, तो आईपीएच के छोटे अफसर कड़वा पानी पिये मिले. बोले, यार आज तुमने हमारे विभाग की जड़ों में खूब जहर डाला.
आम जनता परेशान है, लेकिन मंतरी और संतरी मजे में नहा रहे हैं, आप पानी को ढंग से मैनेज क्यों नहीं करते? कलम सिंह ने छोटे अफसर को घसीटा.
स्पष्ट मानसिक स्थिति में होने के कारण अफसर बोला, वीआईपी के साथ रिश्तों को संवारकर रखने के लिए पानी आज हाॅट वस्तु है. सूखे मौसम में पानी ट्रांसफर करवा सकता है. आपस में झगड़ा हो सकता है, कई जगह मरना-मारना शुरू हो चुका है.
हमारे इंडिया के वीआईपी को सब कुछ चाहिए, चाहे और किसी को कुछ मिले न मिले. पानी को हम आम चीज समझते, बर्बाद करते हैं. यह आम चीज भी इन खास को खूब चाहिए. पानी नहीं मिलेगा तो गार्डन, लॉन, रास्ता व बैडमिंटन र्कोट कैसे धुलेगा. न पिये जा सकनेवाले पानी को आरओ से वेस्ट करना ही पड़ता है. साथ खेलने, सोने, बैठनेवाले कुत्ते न नहायें, तो बदबू आयेगी. कार को रोज न धोयें तो नाराज हो जाती है. क्योंकि ‘वैरी इंटैलीजैंट पर्सन’ हैं, इसलिए अधिकार से इस्तेमाल करते व आनेवाले कल के लिए बड़ी टंकियों में बचाते हैं. घर में इतनी बड़ी रसोई में में बर्तन, उन्हें साफ-सुथरा धुला रखना जरूरी है. रोज नहाकर धुले कपड़े न पहनें, तो तरोताजा महसूस नहीं करते. ऐसे में बेनहाई बदबूदार आम जनता के लिए इतना काम कैसे करेंगे, इसलिए पानी की सप्लाई वहां नियमित जरूरी है. ‘वैरी इंडियन पर्सन’ ऐसे ही होते हैं.
पानी के बहाने कलम सिंह को कई नये सच पता लगे, जो यहां नहीं लिखे जा सकते. उन्हें लगा आईपीएच वालों की बात में पानी जैसा दमखम है. यह आम आदमी की ही बिसात है कि पानी के बिना भी जिंदगी की मछली पकाता रहता है. वीआईपी तो स्वयं मछली हैं, पानी के बाहर कैसे आ सकते हैं!

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