बाबाओं के चंगुल में औरतें
क्षमा शर्मा वरिष्ठ पत्रकार पिछले दिनों जब आसाराम को सजा हुई, तो उनकी प्रवक्ता नीलम दुबे ने उनके पक्ष में तरह-तरह के बयान दिये. पहले भी नीलम दुबे उनका बचाव कर चुकी हैं. राम-रहीम की भी सबसे मददगार के रूप में उनकी मुंहबोली बेटी हनीप्रीत का नाम बार-बार सुर्खियों में आया. जिन महिलाओं के साथ […]
क्षमा शर्मा
वरिष्ठ पत्रकार
पिछले दिनों जब आसाराम को सजा हुई, तो उनकी प्रवक्ता नीलम दुबे ने उनके पक्ष में तरह-तरह के बयान दिये. पहले भी नीलम दुबे उनका बचाव कर चुकी हैं. राम-रहीम की भी सबसे मददगार के रूप में उनकी मुंहबोली बेटी हनीप्रीत का नाम बार-बार सुर्खियों में आया. जिन महिलाओं के साथ ये बाबा तरह-तरह के अत्याचार और दुराचार करते हैं, आखिर वे इनसे इस कदर प्रभावित कैसे हो जाती हैं.
तांत्रिकों और जादू-टोने वालों के जाल में फंसकर न जाने कितने अपराधों का शिकार होती हैं. इन्हें बचाने जो औरतें आगे आती हैं, वे इस बात को मानने के लिए राजी ही नहीं होतीं कि उनके गुरु ऐसे किसी अपराध को अंजाम भी देते हैं.
बाबाओं के प्रति इस मोह को हम औरतों के दैनंदिन जीवन से भी जोड़कर देख सकते हैं. भयानक परेशानियों में घिरी ये हजारों औरतें जब मुसीबतों से निकलने का कोई रास्ता नहीं पातीं, तो ऐसे चमत्कार की उम्मीद लगाती हैं, जो उन्हें एक क्षण में इनसे मुक्ति दिला दे. किसी की बीमारी से, किसी की गरीबी से, किसी के बच्चे की नौकरी लगवाकर तो किसी को पति और ससुराल वालों के अत्याचारों या लंबे चल रहे मुकदमे से जान छुड़ाकर.
और अपने चमत्कारों के सच्चे-झूठे किस्से फैलवाकर ये बाबा औरतों को अपने वश में कर लेते हैं. एक की कही बात जल्दी ही हजारों लाखों में फैलकर घर-घर की कहानी बन जाती है. और महिलाएं दान-दक्षिणा, पूजा-पाठ, यहां तक कि रुपये-पैसे लेकर इन बाबाओं की शरण में चली जाती हैं.
किसी तार्किक बात के मुकाबले औरतों को चमत्कार बहुत आकर्षित करते हैं. चमत्कार दरअसल होते ही इसलिए हैं कि उनसे लोगों, खास तौर से गरीब और जरूरतमंदों की भावनाएं जगाकर उनका दोहन किया जाये. जो इनके चंगुल में फंसते हैं, वे इसे समझ नहीं पाते.
मुझे बचपन की एक घटना याद है. मेरे बड़े भाई पोलियो का शिकार थे. उस समय जैसे भी इलाज उपलब्ध थे, सब कराये गये, मगर कुछ नहीं हुआ. मां व्रत-उपवास, पूजा-पाठ करती थी कि कैसे भी उसके बेटे का पैर ठीक हो जाये. एक बार मां को किसी ने बताया कि आगरा में एक बाबा आनेवाले हैं.
वह एक बार बस पांव पर हाथ लगा दें, तो लड़के का पैर ठीक हो जायेगा. बड़े भाई तब एमएससी कर रहे थे. उनका इन बातों में जरा भी यकीन नहीं था. लेकिन मां उनके पीछे पड़ गयी. भाई ने साफ मना कर दिया, तो मां ने खाना-पीना छोड़ दिया. आखिर भाई को मां की जिद के आगे झुकना ही पड़ा.
रात का वक्त था फिर भी मां चल दी. सवेरे मुंह अंधेरे जब वहां पहुंचे, तो भारी भीड़ थी. मैदान के बीचोबीच चार खंभे गाड़कर ऊपर एक चारपाई लगी थी, जिस पर बाबा को बैठना था.
लोग देर तक बाबा का इंतजार करते रहे, सूरज सिर पर चढ़ आया, मगर बाबा नहीं आये. सब निराश होकर लौटने लगे. बाद में इसी बाबा के बारे में पता चला कि वह स्मगलिंग में पकड़ा गया. मां की तरह बेशुमार औरतें इन बाबाओं की बातों में आ जाती हैं और बहुत तो जीवन भर नहीं निकल पातीं.