अफगानिस्तान में पत्रकार
अफगानिस्तान में पत्रकारों को खतरा आतंकी संगठनों के अलावा सरकार, राजनीतिज्ञों और फौजियों से भी है. पत्रकार हमले के डर से भ्रष्टाचार और जमीनों पर कब्जे से जुड़ी खबरों की रिपोर्टिंग से बचने लगे हैं. तालिबान से उन पत्रकारों को खतरा है, जो उनका गुणगान नहीं करते. पूरा मुल्क नाटो और अमेरिकी फौज के चंगुल […]
अफगानिस्तान में पत्रकारों को खतरा आतंकी संगठनों के अलावा सरकार, राजनीतिज्ञों और फौजियों से भी है. पत्रकार हमले के डर से भ्रष्टाचार और जमीनों पर कब्जे से जुड़ी खबरों की रिपोर्टिंग से बचने लगे हैं. तालिबान से उन पत्रकारों को खतरा है, जो उनका गुणगान नहीं करते. पूरा मुल्क नाटो और अमेरिकी फौज के चंगुल में है.
पिछले एक साल में अफगान सुरक्षा बलों की संख्या में भी कमी आयी है. दूसरी ओर तालिबान और आइएस के आतंकियों ने अफगान सुरक्षा बलों के खिलाफ लड़ाई तेज कर दी है.
हालत यह है कि पिछले तीन साल में तालिबान और अन्य आतंकी संगठनों ने कई इलाकों पर कब्जा कर लिया है और अफगान सरकार का नियंत्रण कमजोर पड़ा है. ऐसे में वहां मीडियाकर्मी कैसे निडरता और निष्पक्षता के साथ अपना काम कर पाएंगे!
डाॅ हेमंत कुमार, इमेल से