आलोक पुराणिक
वरिष्ठ व्यंग्यकार
puranika@gmail.com
जिन्ना के आॅफर से बेहतर हमारा आॅफर एक के साथ चार फ्री. एक इश्तिहारवाले ने मुझे शर्ट का एक इश्तिहार दिखाया. मैंने उसको डपटा कि जिन्ना को शर्ट के साथ काहे जोड़ रहे हो जी.
इश्तिहार वाले ने ज्ञान दिया- जिन्ना ही एक के साथ एक फ्री वाले आॅफर के प्रणेता थे. एक देश के दो देश कर दिये उन्होंने. फिर 1971 में बंगलादेश बनने के बाद एक के तीन देश हो गये. हमारा एक के साथ चार शर्ट का आॅफर है. जिन्ना के आॅफर से बेहतर है हमारा आॅफर.
विज्ञापनों की दुनिया कमाल की है. सन्नी लियोनी से लेकर जिन्ना तक सबसे कुछ-न-कुछ बिकवा सकती है. विज्ञापनवाले महान उसी को मानते हैं, जो कुछ बेचने के काम आये. जो कोई ना बिकवा पाये, उसे महान क्यों माना जाये. जिन्ना भी बहुत जल्दी विज्ञापनी महानता की सीढ़ियां चढ़ते नजर आयेंगे.
मैंने इश्तिहारवाले से कहा- ज्यादा न उछलो. पाकिस्तान के दो हिस्से और हो सकते हैं. बलूचिस्तानवाले अलग लड़ रहे हैं. सिंधवालों की अलग डिमांड है देश की. एक पाक से कुल मिलाकर आखिर दो-तीन देश और निकल सकते हैं. पाक से भी कुल मिलाकर अगर चार-पांच देश निकल लिये, तो फिर एक के साथ चार शर्टवाला आॅफर जिन्ना के आॅफर से पिट जायेगा.
जिन्ना मर के भी बहुत काम आ रहे हैं. कोई शर्ट बेचे ले रहा है. कोई उनके जरिये राजनीति बेचे ले रहा है. पाकिस्तान में कई शातिरों ने जिन्ना के नाम पर पूरा मुल्क ही बेच लिया. बड़े लोग बहुत काम आते हैं, जिन्ना तो खैर सचमुच के बड़े आदमी थे. एक और बड़े आदमी हुए हैं इस मुल्क में- गब्बर सिंह. गब्बर सिंह यूं फर्जी थे, यूं तो कई बड़े आदमी फर्जी ही होते हैं.
मतलब यह तक कहा जा सकता है कि फर्जी थे, इसलिए बड़े हो भी पाये. खैर सारे फर्जी बड़े न हो पाते. गब्बर सिंह थे तो बड़े आदमी, पर थे कतई फर्जी. गब्बर सिंह बहुत काम आये. शोले हिट करायी. बाद में गब्बर सिंह इतने हिट हुए इतने हिट हुए कि बिस्कुट का एक ब्रांड बेचने की माॅडलिंग भी की. बिस्कुट बिकवाया, अब नेताओं की मार्केटिंग में काम आ रहे हैं.
कर्नाटक के चुनाव प्रचार में गब्बर सिंह बहुत काम आ रहे हैं. कर्नाटक में एक नेता ने कहा- गब्बर सिंह, सांभा, कालिया सारे आ लिये. कर्नाटक चुनाव प्रचार में एक नेता दूसरे नेता की टीम को गब्बर टीम कह रहा है.
गब्बर सिंह की हिट फिल्म शोले की शूटिंग कर्नाटक के एक गांव में हुई थी. सो कर्नाटकवालों का स्वाभाविक हक गब्बर सिंह पर बनता है. गब्बर वैसे अपने चरित्र में समग्र भारतीय लुटेरे हैं. सबको लूटना, सबसे लूटना.
जिन्ना रोजगार योजना चली जा रही है. गब्बर सिंह उनके मुकाबले थोड़े नये रोजगार प्रदाता हैं. जिन्ना 1947 से रोजगार दे रहे हैं. गब्बर सिंह 1975 से रोजगार दे रहे हैं. शोले के बाद भी गब्बर चलते रहे. शोले की याद खत्म हो जायेगी, पर गब्बर चलते रहेंगे, क्योंकि नेता चलते रहेंगे. नेताओं की तरह गब्बर सिंह भी शाश्वत हैं.