बच्चों की आभासी दुनिया
वर्तमान में इंटरनेट युवाओं और बच्चों को तेजी से अपनी गिरफ्त में ले रहा हैं. बड़े-बुजुर्गों की बाहों से लिपट कर कहानियां सुनने वाला बचपन अब कंप्यूटर, टीवी, इंटरनेट और वीडियो गेम्स में व्यतीत हो रहा हैं. बच्चों का बचपन परंपरागत मनोरंजन की दुनिया से हटकर संचार माध्यमों की दुनिया की ओर आकर्षित हो रहा […]
वर्तमान में इंटरनेट युवाओं और बच्चों को तेजी से अपनी गिरफ्त में ले रहा हैं. बड़े-बुजुर्गों की बाहों से लिपट कर कहानियां सुनने वाला बचपन अब कंप्यूटर, टीवी, इंटरनेट और वीडियो गेम्स में व्यतीत हो रहा हैं. बच्चों का बचपन परंपरागत मनोरंजन की दुनिया से हटकर संचार माध्यमों की दुनिया की ओर आकर्षित हो रहा है.
ज्ञानाश्रित सूचना क्रांति के तकनीकी संवाद ने परिवार और उसकी सामूहिकता को विखंडित किया हैं, जिसका सर्वाधिक प्रभाव बच्चों पर हुआ हैं. बच्चों के जीवन में सांस्कृतिक मूल्यों को सीख देने वाले परिवार और स्कूल भी धीरे-धीरे दूर हो रहे हैं.
बच्चे हमारे समाज व राष्ट्र का भविष्य हैं. अतः उनके वात्सल्य भाव को संरक्षित रखना हमारी जिम्मेदारी बनती हैं. जरूरत है कि आभासी दुनिया से पहले सामाजिक संबंधों की प्रत्यक्ष दुनिया से परिचित करवाया जाये, तभी बचपन का सही निवेश सार्थक हो पायेगा.
मुकेश कुमावत, इ-मेल से.