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अब स्वरोजगार वाली शिक्षा की जरूरत है

देश मे बेरोजगारी चरम पर है. पीएचडी, एमबीए डिग्रीधारी क्लर्क या उससे भी नीचे के पद के लिए आवेदन कर रहे हैं. यह बेरोजगारी की खतरनाक स्थिति को बता रहा है. इसकी जड़ है हमारी दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली, जो सिर्फ रटंत बनाना सिखाती है. जब तक नये पाठ्यक्रमों का समावेश नहीं होता, ये किसी काम […]

देश मे बेरोजगारी चरम पर है. पीएचडी, एमबीए डिग्रीधारी क्लर्क या उससे भी नीचे के पद के लिए आवेदन कर रहे हैं. यह बेरोजगारी की खतरनाक स्थिति को बता रहा है.
इसकी जड़ है हमारी दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली, जो सिर्फ रटंत बनाना सिखाती है. जब तक नये पाठ्यक्रमों का समावेश नहीं होता, ये किसी काम की नहीं. परंतु कोई भी इस ओर अपना ध्यान देने को तैयार नहीं है.
आज जरूरी हो गया है कि छात्र अपने हाथ में डिग्री ले कर नौकरी की तलाश में न घूमे, बल्कि खुद कुछ कर दिखाये. छात्रों को स्वरोजगार दिलाने वाली शिक्षा की जरूरत है. प्राचीन समय में गुरुकुल में इस प्रकार एक विद्यार्थी को सक्षम बना दिया जाता था कि वह अपने जीवन यापन के लिए दूसरे पर निर्भर न रहे, फिर से हमें वैसी नीति पर चलना चाहिए.
डॉ शिल्पा जैन सुराणा, इमेल से

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