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हाथ-पैर बांधकर

सुरेश कांत वरिष्ठ व्यंग्यकार हाथों का उपयोग अलग है और पैरों का अलग. जो काम आप हाथों से कर सकते हैं, वह पैरों से नहीं कर सकते और जो काम पैरों से कर सकते हैं, वह हाथों से नहीं कर सकते. उदाहरण के लिए, आप दूसरों के मामलों में टांग ही अड़ा सकते हैं, जो […]

सुरेश कांत
वरिष्ठ व्यंग्यकार
हाथों का उपयोग अलग है और पैरों का अलग. जो काम आप हाथों से कर सकते हैं, वह पैरों से नहीं कर सकते और जो काम पैरों से कर सकते हैं, वह हाथों से नहीं कर सकते. उदाहरण के लिए, आप दूसरों के मामलों में टांग ही अड़ा सकते हैं, जो कि पैर का ही दूसरा खूबसूरत-सा नाम है.
अगर आप उन्हें लतियाना चाहें, तो वह भी लात द्वारा ही संभव है, जो कि पुन: पैर का ही एक अन्य खूबसूरत-सा नाम और रूप है. लेकिन जो काम हाथ से किये जा सकते हैं, वे पैर से होने मुश्किल हैं. जैसे कि देश की समस्याओं में विदेशी हाथ दिखाना, खासकर पाकिस्तान का. इसलिए जब भी देश में चुनाव होते हैं या जनता का ध्यान समस्याओं से भटकाना होता है, सरकार खींचकर पाकिस्तान का हाथ बीच में ले आती है.
अपना हाथ इस कदर खींचे जाने से पाकिस्तान को तकलीफ होती हो, ऐसा भी नहीं है, क्योंकि पाकिस्तान भी अपनी हर समस्या के पीछे हिंदुस्तान का हाथ दिखा देता है. यह देख दोनों देशों की जनता भूख-प्यास भूलकर अपने देश के लिए जिंदाबाद और दूसरे देश के लिए मुर्दाबाद के नारे लगाने लगती है और अंतत: शांत हो रहती है. अशांत जनता को शांत करने और शांत जनता को अशांत करने का यह कारगर तरीका है, जिसके लिए दोनों देशों ने अपने-अपने डुप्लीकेट हाथएक-दूसरे को दे रखे हैं. शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की तर्ज पर दोनों का यह अशांतिपूर्ण सह-अस्तित्व है.
वैसे, हाथों और पैरों का यह विभाजन मनुष्य के उद्भव के साथ ही अस्तित्व में आया है. सर्वमान्य थ्योरी के अनुसार, मनुष्य बंदर से विकसित हुआ है, जिसे वह जब-तब अपनी हरकतों से साबित भी करता रहता है.
विकसित होने की प्रक्रिया में मनुष्य ने अपने अगले दो पैरों का हाथों के रूप में इस्तेमाल शुरू कर दिया. इससे उसके बहुत-से काम आसान हो गये, पर एक मुश्किल भी हुई कि उसकी रीढ़ कमजोर हो गयी. लेकिन मनुष्य ने इस कमजोरी को भी खूबी में बदल लिया. लौकिक-अलौकिक दाताओं के पैरों में झुकना, पड़ना, यहां तक कि लोट भी जाना उसके लिए इसी बदौलत संभव हुआ.
हाथों-पैरों के अलग-अलग उपयोग के बावजूद दोनों का मिलकर भी बड़ा उपयोग देखने में आता है. हाथ-पैर जोड़कर आदमी अपने बहुत सारे काम निकाल लेता है.
हाथ-पैर बांधने को भी अंडरवर्ल्ड में ही नहीं, बल्कि समाज में भी खूब मान्यता प्राप्त है. बिहार में काफी विवाह दूल्हे के हाथ-पैर बांधकर ही किये जाते हैं. विवाह के बाद उसके हाथ-पैर खोल दिये जाते हैं, ताकि वह वे सब कार्य कर सके, जिसके लिए कि विवाह किया जाता है.
लेकिन हाथ-पैर बांधने को सबसे खूबसूरत आयाम हाल ही में कर्नाटक विधानसभा-चुनाव के दौरान भाजपा के मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी येदियुरप्पा ने दिया, जब उन्होंने एक चुनाव-सभा में भाजपा-कार्यकर्ताओं से कहा कि अगर लोग वोट देने न आयें, जिसकी कि पूरी संभावना है, तो उनके हाथ-पैर बांधकर बूथों पर लायें और भाजपा को वोट दिलवायें. एक झटके में उन्होंने अंडरवर्ल्ड के गुंडों और नेताओं का फर्क खत्म कर डाला, जिसके लिए देश उनका हमेशा के लिए शुक्रगुजार रहेगा.

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