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माता सिर्फ एक दिन के लिए क्यों

पता नहीं भारत जैसे समृद्ध सांस्कृतिक विरासत वाले देश में मदर्स डे कहां से इंपोर्ट हो गया. यहां मां केवल जननी नहीं होती, बल्कि प्यार, ममता, स्नेह, साहस, सुख, शांति और समृद्धि बन हमेशा अपनी संतान में समाहित होती है. मां बनते ही न तो उसके निजी सपने होते हैं, न स्वार्थ, न सुख. यह […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 15, 2018 12:50 AM
पता नहीं भारत जैसे समृद्ध सांस्कृतिक विरासत वाले देश में मदर्स डे कहां से इंपोर्ट हो गया. यहां मां केवल जननी नहीं होती, बल्कि प्यार, ममता, स्नेह, साहस, सुख, शांति और समृद्धि बन हमेशा अपनी संतान में समाहित होती है.
मां बनते ही न तो उसके निजी सपने होते हैं, न स्वार्थ, न सुख. यह सारी चीजें वह अपनी संतान को समर्पित कर देती हैं. ऐसा कोई पल होता नहीं, जब वह किसी-न-किसी रूप में संतान के साथ न हों. फिर इस साक्षात देवी को, जो प्रत्यक्ष हैं, वर्ष का सिर्फ एक दिन देकर 364 दिन उन्हें क्यों अपने से दूर करना चाहते है, जबकि वह पल-पल हममें समाहित हैं, चाहे वह जीवित हों या मृत. हां, पश्चिम वालों के लिए यह त्योहार बुरा नहीं है, क्योंकि वहां मां होती ही नहीं हैं, सिर्फ मॉम होती हैं.
ऋषिकेश दुबे, पलामू.

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