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गायब होते जलाशय
झारखंड के अधिकतर जलाशयों, नदियों और पानी के स्रोतों का लगातार अतिक्रमण हो रहा है. नतीजतन शहरी क्षेत्रों के बड़े जलाशय व नदियों का क्षेत्रफल भी लगातार घटने लगा है. राज्य सरकार ने 2011 मई में ही पानी के स्रोतों के हो रहे अतिक्रमण को रोकने के लिए आवश्यक कार्रवाई करने का आदेश दिया था. […]
झारखंड के अधिकतर जलाशयों, नदियों और पानी के स्रोतों का लगातार अतिक्रमण हो रहा है. नतीजतन शहरी क्षेत्रों के बड़े जलाशय व नदियों का क्षेत्रफल भी लगातार घटने लगा है.
राज्य सरकार ने 2011 मई में ही पानी के स्रोतों के हो रहे अतिक्रमण को रोकने के लिए आवश्यक कार्रवाई करने का आदेश दिया था. इसमें यह कहा गया था कि सरकार की तरफ से नदियों, जलाशयों के कैचमेंट क्षेत्र को विकसित किया जाये और उसे अतिक्रमणमुक्त बनाया जाये. इस दिशा में सरकार की ओर से यथोचित कार्रवाई अब तक नहीं की गयी.
फिर से राज्य के 45 जलाशयों में से आधे से अधिक में पानी का स्तर कम हो रहा है. तीव्र गति से जलाशयों नदियों (चक्रधरपुर स्थित विंजय नदी) के क्षेत्रों में अतिक्रमण कर मकान बनाये जा रहे है. वक्त रहते अगर ध्यान न दिया जाये, तो इन जलाशयों के पूर्ण समाप्त होने में वक्त नहीं लगेगा.
हरिश्चंद्र महतो, चक्रधरपुर.
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