खटमलों से प्यार
अंशुमाली रस्तोगी व्यंग्यकार पिछले दिनों एक सज्जन के घर ठहरने का मौका मिला. सज्जन की सज्जनता तब बहुत भा गयी, जब रात को सोने से पहले उन्होंने बता दिया कि उनकी खटिया और बिस्तर में खटमल हैं! खटमल का नाम सुनते ही मैं प्रसन्न हो उठा. मैंने खटमल वाली खटिया और बिस्तर पर मुझे सुलाने […]
अंशुमाली रस्तोगी
व्यंग्यकार
पिछले दिनों एक सज्जन के घर ठहरने का मौका मिला. सज्जन की सज्जनता तब बहुत भा गयी, जब रात को सोने से पहले उन्होंने बता दिया कि उनकी खटिया और बिस्तर में खटमल हैं!
खटमल का नाम सुनते ही मैं प्रसन्न हो उठा. मैंने खटमल वाली खटिया और बिस्तर पर मुझे सुलाने के लिए उन्हें धन्यवाद दिया. एक बार को वे भी सकपका गये कि कैसा बंदा है, जो खटमल की खटिया-बिस्तर पर सोने के लिए बावला हुआ जा रहा है
उन्होंने मुझसे पूछा भी कि मुझे खटमलों के साथ सोने में कोई एेतराज तो नहीं. मैंने उन्हें साफ कह दिया कि एतराज का तो कोई सवाल ही पैदा नहीं होता, बल्कि खटमलों के प्रति तो मेरे दिल में बचपन से ही प्यार है. खटमल द्वारा इंसानों का खून पीने को मैं कतई बुरा नहीं मानता. इंसान का खून उनका भोजन है. यों, किसी के भोजन पर लात मारना उचित नहीं.
वक्त ने इंसान को बड़ा निर्दयी और मतलबी बना दिया है. हमेशा वह अपना ही भला सोचता है. कभी नहीं चाहता कि उसके दम पर किसी दूसरे का भला हो. अपवादों को छोड़ दें, तो ‘अच्छाई’ करना इंसानों की कुंडली में लिखा ही नहीं.
किंतु मैं ऐसा रत्तीभर नहीं सोचता. चाहे खटमल हो या छिपकली, इंसान हो या शैतान, कोशिश मेरी यही रहती है, उनके साथ अच्छा ही करूं. बताते हैं, अच्छा करने से स्वर्ग मिलता है. हालांकि, मुझे स्वर्ग की कभी तमन्ना नहीं रही, फिर भी, अगर मिल जाये तो आखिर हर्ज ही क्या है?
कोई ऐसा मानेगा तो नहीं, पर हम इंसानों ने खटमलों के साथ ज्यादती बहुत की है. उन्हें यों उपेक्षित रख छोड़ा है, मानो वे हमें भारी नुकसान पहुंचाते हों! जबकि हकीकत यह है कि खटमल सिवाय इंसान का खून चूसने के और कोई हानि नहीं पहुंचाते. एक नन्हा-सा जीव इतने बड़े इंसान का कितना खून चट कर जायेगा भला! उससे कहीं अधिक मात्रा में इंसान जानवरों का खून कर रहा है. खुद भी एक-दूसरे के खून का प्यासा है.
लेकिन, एक नन्हा-सा खटमल अगर जरा-सा खून क्या पी ले, तो हमें तरह-तरह की मुसीबतें होने लगती हैं. हम तुरंत ही उसे मारने के इंतजाम किये जाते हैं. जबकि, खटमल से कहीं खतरनाक मच्छर है, पर उस पर इंसान का जोर चल ही नहीं पा रहा. देश में मच्छर सुकून भरी जिंदगी जी रहे हैं. और बेचारे खटमल विलुप्ति की कगार पर हैं.
खटमलों के अस्तित्व को बचाये रखने के लिए मैंने एक काम किया है. उन सज्जन के यहां से मैं दस-बीस खटमल मांग लाया हूं, ताकि उन्हें अपनी खटिया और बिस्तर पर संरक्षण दे सकूं. रात को जब मैं सोऊं, तो वे मेरे खून से अपनी भूख मिटा सकें. भूखे को भोजन खिलाना तो हमारे शास्त्रों में पुण्य का काम बताया गया है. तो हम यह पुण्य क्यों न कमाएं?
शेर, चीता, गाय आदि तो हम बचाते ही रहते हैं, अब थोड़ा हमें खटमलों को बचाने के बारे में भी सोचना चाहिए. खटमलों को भी हमारे प्यार की दरकार है.