रुमाल महज रुमाल नहीं है

मुकुल श्रीवास्तव स्वतंत्र टिप्पणीकार गर्मियों की छुट्टियां हो गयी हैं.कुछ लोग घूमने का कार्यक्रम बना रहे होंगे, तो कुछ के घर में शादी या ऐसा ही कोई और आयोजन होगा. जब इतने सारे कार्यक्रम होंगे तो हम सुंदर दिखने के लिए कुछ कपड़े वगैरह भी जरूर खरीदेंगे. कपड़ों का ही एक जरूरी हिस्सा है रुमाल, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 24, 2018 12:33 AM

मुकुल श्रीवास्तव

स्वतंत्र टिप्पणीकार

गर्मियों की छुट्टियां हो गयी हैं.कुछ लोग घूमने का कार्यक्रम बना रहे होंगे, तो कुछ के घर में शादी या ऐसा ही कोई और आयोजन होगा. जब इतने सारे कार्यक्रम होंगे तो हम सुंदर दिखने के लिए कुछ कपड़े वगैरह भी जरूर खरीदेंगे.

कपड़ों का ही एक जरूरी हिस्सा है रुमाल, पर क्या कोई रुमाल की खरीदारी अलग से करता है, जैसे पैंट, शर्ट, साड़ी या सूट की? वैसे एक दिन बगैर रुमाल के घर से निकल जाइये या रुमाल घर पर भूल जाइये, तो बहुत कुछ याद आ जायेगा. वैसे भी चीजों की कमी उनके न रहने पर ही खलती है. रुमाल फारसी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ मुंह पर मलनेवाली चीज है. हाथ से लेकर मुंह साफ करने के अलावा रुमाल का कई इस्तेमाल हैं. अब ये आपके ऊपर है कि आप इसका इस्तेमाल कैसे करते हैं.

हिंदी फिल्मों के कई गानों में प्यार की शुरुआत नायिका के रुमाल खोने या मिलने से शुरू होती है. रुमाल भले ही एक छोटा सा कपड़े का टुकड़ा हो, पर वह हमारी जिंदगी में बहुत असर डालता है. जब आप मंदिर, मस्जिद या गुरुद्वारा जाते हैं, तो सर पर रुमाल डाल लेते हैं, यानी रुमाल का एक सुपर नेचुरल कनेक्शन भी है, जो ऊपर वाले से हमें जोड़ता है.

वैसे कपड़े तो तरह-तरह के होते हैं, पर ऊपर वाले से जीवित रहते हुए जोड़ने का काम रुमाल ही करता है. वैसे हमारे रुमाल कब बदल जाते हैं, इसका पता ही नहीं चलता. हम कभी कपड़ों की तरह रुमाल को बदलने की प्लानिंग नहीं करते हैं, नये रुमाल आते हैं, पुराने कहां चले जातें हैं, न कभी हम जानने की कोशिश करते हैं, न कोई हमें बताता है.

वैसे ही जिंदगी में बहुत से लोग हमें ऐसे मिलते हैं जो हमारे काम आते हैं, हमारा जीवन आसान बनाते हैं और फिर चुपचाप हमें शुक्रिया कहने का मौका दिये बगैर जीवन से विदा हो जाते हैं.

वैसे भी हमारे घर में गैस से लेकर अखबार वाले शख्स का चेहरा हमें कहां याद रहता है? ऐसे न जाने कितने लोग हैं, जो हमारे जीवन में रुमाल की भूमिका निभा रहे होते हैं. अपने महत्व का अंदाजा कराये बगैर.

रुमाल यूं तो हमारे पहनावे का एक छोटा सा हिस्सा भर है, पर ये हमारी जिंदगी से जुड़ा हुआ है. जैसे हम अपने दैनिक जीवन में रुमाल खरीदने की प्लानिंग नहीं करते, वैसे ही जिंदगी को प्लान नहीं किया जा सकता. जो जैसे मिले उसे स्वीकार करना चाहिए. रुमाल का रंग अगर हमारे कपड़े से नहीं मिलता तो चलेगा, पर किसी भी रुमाल का न होना बिलकुल नहीं चलेगा. उसी तरह जिंदगी में रिश्तों का होना महत्वपूर्ण है, उनका अच्छा या बुरा होना नहीं.

क्योंकि जिंदगी रहेगी तो रिश्तों को बेहतर किया जा सकता है, पर जिंदगी ही न रही तो लाख रिश्ते हों, उनका कोई फायदा नहीं. इसीलिए तो कहा जाता है, जिंदगी ना मिलेगी दुबारा, तो जी लो जी भर के. अगली बार अगर आपका रुमाल खो जाये, तो उसे ढूंढने की कोशिश जरूर कीजियेगा, क्योंकि ये रुमाल महज रुमाल नहीं, हम सबकी जिंदगी का आईना भी है.

Next Article

Exit mobile version