नंबर कम आया, फेल हो गये कोई बात नहीं बहुत मौका मिलेगा

IIअनुज कुमार सिन्हाII सीबीएसइ 12 वीं का रिजल्ट शनिवार काे निकला. काेई सफल रहा, काेई असफल. जिन्हें अच्छे अंक आये, उनकाे बधाई, लेकिन याद रखिए, जिन्हें अच्छा अंक नहीं आया, किसी कारणवश फेल कर गये, वे बेकार नहीं हैं. ऐसी बात नहीं है कि उनमें प्रतिभा नहीं हैं. वे निराश न हाें. यह टिप्पणी टॉपर्स […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 27, 2018 8:02 AM
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IIअनुज कुमार सिन्हाII

सीबीएसइ 12 वीं का रिजल्ट शनिवार काे निकला. काेई सफल रहा, काेई असफल. जिन्हें अच्छे अंक आये, उनकाे बधाई, लेकिन याद रखिए, जिन्हें अच्छा अंक नहीं आया, किसी कारणवश फेल कर गये, वे बेकार नहीं हैं. ऐसी बात नहीं है कि उनमें प्रतिभा नहीं हैं. वे निराश न हाें. यह टिप्पणी टॉपर्स के लिए नहीं हैं, अच्छे अंक लानेवालाें के लिए नहीं हैं.

यह उन बच्चाें के लिए है, जाे किसी कारणवश अच्छा अंक नहीं ला सके या असफल हाे गये आैर निराश हाे गये हैं. यह टिप्पणी उन अभिभावकाें के लिए हैं, जाे बच्चाें की परेशानी, उनकी पीड़ा, उनके तनाव काे नहीं समझते आैर भारी दबाव बनाते हैं. इतना भारी दबाव, जाे ये छात्र झेल नहीं पाते. अभी 10वीं का रिजल्ट बाकी है. आइआइटी का रिजल्ट निकलेगा. मेडिकल का निकलेगा. स्वाभाविक है कुछ काे सफलता मिलेगी, कुछ असफल हाेंगे. छात्र इस बात काे गांठ बांध लें कि एक सफलता से आप हार नहीं मान लें. ऐसी बात नहीं है कि कम नंबर आने के बाद आपका जीवन खत्म हाे गया.

आप कुछ नहीं कर सकते. अपने अंदर की ताकत काे पहचानिए. ईश्वर ने हर व्यक्ति के अंदर एक खास गुण दिया है. उस गुण काे तलाशिए. उसे आगे बढ़ाइए. ऐसी बात नहीं है कि सिर्फ मेडिकल या इंजीनियरिंग में ही कैरियर है. सैकड़ाें अन्य क्षेत्र हैं. देश-दुनिया में हजाराें ऐसे उदाहरण पड़े हैं जहां बार-बार असफल रहनेवालाें ने कमाल दिखाया है. इसलिए निराश हाेने की जरूरत नहीं है. जान सबसे कीमती है. इसकी रक्षा हाेनी चाहिए. परीक्षा में बैठने का माैका फिर मिल जायेगा, लेकिन एक बार जान चली गयी, ताे वह लाैट नहीं सकती. इसलिए मजबूत बनिए. मानसिक ताैर पर अाैर चुनाैतियाें का सामना कर उसे मात दीजिए.

यह सही है कि बच्चाें पर आज भारी तनाव है. अधिक से अधिक नंबर लाने के लिए. लगभग हर अभिभावक (साइंस पढ़नेवाला) चाहता है कि उसका बेटा (या बेटी) आइआइटी ही करे या डॉक्टर ही बने. कुछ अभिभावक अन्य क्षेत्राें में जाने के लिए बच्चाें पर दबाव डालते हैं. बच्चाें से उनकी इच्छा पूछी नहीं जाती कि वह क्या बनना चाहता है. बच्चाें पर अनावश्यक दबाव बनाया जाता है, दूसराें का उदाहरण दिया जाता है. बच्चाें का तनाव आैर बढ़ जाता है. रिजल्ट के माैके पर भूल कर भी बच्चाें पर दबाव मत बनाइए. वह पहले से ही चिंतित है. रिजल्ट के लिए पड़ाेसियाें आैर अन्य रिश्तेदाराें काे आज कल ज्यादा ही चिंता दिखती है.

एक ताे नंबर कम आया, उसके बाद सभी काे जबाव देते रहिए.यह उचित नहीं है. बच्चाें, ऐसे लाेगाें से रिजल्ट के समय दूरी बनाये रखें. आत्मविश्वास पर भराेसा करें. अगर आपकाे कम नंबर आ गया है ताे काेई पहाड़ नहीं टूट गया. आपकाे सिर झुकाने की जरूरत नहीं है. आपने मेहनत की. रिजल्ट अच्छा नहीं आया ताे इसमें खुद काे दाेषी मत मानिए. कई कारण हाे सकते हैं. मन अगर चिंतित हाे जाये, जब लगने लगे कि भविष्य खराब हाे जायेगा ताे देश-दुनिया के बेहतरीन उदाहरणाें काे याद कीजिए.

दुनिया के सबसे बड़े गणितज्ञ हुए हैं रामानुजम. जानिए उनके बारे में. वे 12वीं की परीक्षा में फेल हाे गये थे. उनकी स्कॉलरशिप बंद कर दी गयी थी. लेकिन वे हार नहीं माने. ऐसी खाेज की, जिसे दुनिया याद करती है. आइंस्टाइन सबसे बड़े वैज्ञानिक हुए. स्कूल में ग्रेडिंग इतना खराब था कि स्कूल से निकाल दिया गया था. थॉमस एडिशन काे स्कूल में शिक्षक ने कहा कि यह शरारती बच्चा है. कुछ सीख नहीं सकता. बाद में दाे बार नाैकरी से निकाला गया. उसी एडिशन ने बिजली का आविष्कार किया.

बिल गेट्स (माइक्राेसॉफ्ट के मालिक) कई बार असफल हुए. अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन युद्ध में सेना की आेर से कैप्टन रैंक से लड़ने गये थे. प्रदर्शन खराब था आैर उन्हें डिमाेट कर सबसे नीचे का रैंक यानी प्राइवेट कर दिया गया. कई चुनाव हारे, लेकिन हार नहीं माने. अमेरिका के सबसे अच्छे राष्ट्रपति में एक. बाहर की बात छाेड़ दीजिए.

इस देश के महानायक हैं अमिताभ बच्चन. रेडियाे से उन्हें खराब आवाज हाेने की बात कह कर छांट दिया था. लगातार 15 फिल्म फ्लॉप हुई, लेकिन अमिताभ हार नहीं माने. जब वे शिखर पर थे, उसके बाद दुबारा आफत आयी. उनकी कंपनी एबीसी डूब गयी, लेकिन अमिताभ उस असफलता से हार नहीं माने. आज देखिए, अमिताभ कहां खड़ा हैं.

भरे पड़े हैं कैरियर. ऐसी बात नहीं है कि सिर्फ टॉपर्स का ही भविष्य है, उन्हीं के पास पैसा है, उन्हीं की इज्जत है. सचिन तेंडुलकर काे क्रिकेट का भगवान कहा जाता है. क्रिकेट काे अपना कैरियर बनाया. पढ़ाई सिर्फ 10वीं तक ही कर सके. लेकिन क्या पैसा-प्रतिष्ठा में काेई कमी आयी. मेडिकल में नामांकन के लिए क्या नहीं किया जाता. लेकिन क्रिकेटर लक्षमण काे देखिए.

एमबीबीएस की पढ़ाई छाेड़ कर क्रिकेट काे कैरियर बनाया आैर नाम कमाया. इसलिए कम नंबर आना किसी की प्रतिभा का मापदंड नहीं है. कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां आपके बच्चे बहुत अच्छा कर सकते हैं. हां, उन क्षेत्राें काे तलाशना हाेगा. लगातार प्रयास करना हाेगा. निराश हाेने से रास्ता नहीं निकलता.

कमियाें काे पहचानिए आैर उन्हें दूर करिए. रिजल्ट के समय अभिभावक अपने बच्चाें के साथ खड़ा हाें. उनका मनाेबल बढ़ायें. उन्हें बतायें कि कम नंबर आने से काेई आसमान नहीं टूट जायेगा. फिर प्रयास करेंगे आैर अच्छा अंक लाकर दिखा देंगे. बच्चाें की भावनाआें काे समझिए, उनकी मर्जी का सम्मान कीजिए. हां, उन्हें अच्छे आैर गलत में फर्क जरूर बताइए लेकिन समय देख कर. ऐसा कर ही आप अपने बच्चाें का जीवन संवार सकते हैं.

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