तेल की बढ़ती कीमतें

तेल की आसमान छूती कीमतों के कारण सरकार को राजस्व घाटा संभालना होगा और दूसरी तरफ महंगाई को काबू में रखने की जुगत लगानी होगी. देश में 86 फीसदी माल की ढुलाई ट्रकों के जरिये होती है. तेल का खर्च बढ़ने से ढुलाई महंगी होगी. एक सच यह भी है कि लोकसभा की चुनावी दुंदुभि […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 28, 2018 7:20 AM
तेल की आसमान छूती कीमतों के कारण सरकार को राजस्व घाटा संभालना होगा और दूसरी तरफ महंगाई को काबू में रखने की जुगत लगानी होगी. देश में 86 फीसदी माल की ढुलाई ट्रकों के जरिये होती है. तेल का खर्च बढ़ने से ढुलाई महंगी होगी. एक सच यह भी है कि लोकसभा की चुनावी दुंदुभि बजने में अब देर नहीं है. ऐसे वक्त में कोई भी सरकार नहीं चाहेगी कि वह महंगाई का खतरा मोल ले. लेकिन, सरकार के पास विकल्प भी सीमित हैं.
सरकार पेट्रोलियम पर सब्सिडी की निर्धारित सीमा बढ़ाकर तेल कंपनियों को घाटे की भरपाई कर सकती है. दूसरा विकल्प है कि तेल कंपनियां खुद ही पहले की तरह सरकार के साथ तेल की चढ़ती कीमतों का बोझ वहन करें और एक हद तक घाटा उठाने के लिए तैयार रहें.
तीसरा विकल्प है कि केंद्र सरकार राज्यों पर बोझ डालने की जगह खुद ही पहल करे और तेल पर आयात शुल्क में कटौती करे. कीमतों में कमी के लिए पेट्रोलियम मंत्रालय और तेल कंपनियों के बीच बैठक होने से राहत की उम्मीद बनी है.
डॉ हेमंत कुमार, इमेल से

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