अच्छे दिनों की राह में बड़ी हैं चुनौतियां
राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी की नियुक्ति की घोषणा हो चुकी है. देश आम चुनाव के हंगामाखेज दिनों से बाहर निकल कर नयी सरकार के आधिकारिक पदग्रहण की प्रतीक्षा में है. भाजपा को स्पष्ट जनादेश इस उम्मीद में मिला है, कि मोदी सरकार के आते ही देश में ‘अच्छे दिन’ आयेंगे. देश […]
राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी की नियुक्ति की घोषणा हो चुकी है. देश आम चुनाव के हंगामाखेज दिनों से बाहर निकल कर नयी सरकार के आधिकारिक पदग्रहण की प्रतीक्षा में है. भाजपा को स्पष्ट जनादेश इस उम्मीद में मिला है, कि मोदी सरकार के आते ही देश में ‘अच्छे दिन’ आयेंगे. देश में सबका विकास होगा.
हालांकि यह एक दुर्भाग्यपूर्ण सच्चई है कि अब तक ज्यादातर सरकारें चुनावों के दौरान किये गये बहुत से वादों को पूरा करने में नाकाम रही हैं. इसके बावजूद चुनाव के दौरान राजनीतिक दल एवं राजनेता अपने विचारों-कार्यक्रमों के साथ जनता के बीच पहुंचते हैं और जनता अपने विवेक से चयन करती है. इस बार के चुनाव प्रचार में मोदी ने किसी भी अन्य राजनेता से ज्यादा जनसभाएं कीं और गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में अपने कामकाज की मिसाल देकर देशवासियों को ‘अच्छे दिनों’ के सपने दिखाये. उनके दावों और वादों पर मतदाताओं ने मुहर लगा दी है.
जब वे संसद के केंद्रीय कक्ष में एनडीए के सांसदों को संबोधित कर रहे थे, उनका लहजा भावनात्मक था; लेकिन अपनी सरकार के प्रमुख उद्देश्यों का गंभीरता से एवं स्पष्ट शब्दों में उल्लेख करते हुए वे विश्वसनीय भी लग रहे थे. उनके भाषण में बार-बार प्रयुक्त हो रहे आशा, उम्मीद और प्रयास जैसे शब्द अर्थपूर्ण प्रतीत हो रहे थे. हालांकि सच्चई यही है कि जनादेश जितना स्पष्ट है, उम्मीदों पर खरे उतरने की कसौटी भी उतनी ही कठोर. अभी नयी मंत्रिपरिषद का गठन होना है, जिसमें उन्हें देश के विभिन्न हिस्सों और वर्गो के प्रतिनिधित्व के साथ योग्यता और अनुभव का भी ख्याल रखना होगा.
इसके बाद जुलाई में ही पेश होनेवाले मोदी सरकार के पहले बजट से जनता को जहां महंगाई और मुद्रास्फीति पर नियंत्रण के ठोस उपायों की अपेक्षा होगी, वहीं सरकार को अर्थव्यवस्था को गति देनेवाले सुधार भी करने होंगे. उसे रोजगार, शिक्षा व स्वास्थ्य जैसे बुनियादी सवालों के हल के साथ कृषि संकट से निपटने के उपाय भी खोजने होंगे. स्पष्ट बहुमत ने मजबूरियों की आड़ लेने के मौके भी छीन लिये हैं. जाहिर है, मोदी सरकार को एक कड़े इम्तिहान से गुजरना हैं, जिसमें चुनौतियां बड़ी हैं, पर जनता उम्मीद लगाये बैठी है. इसलिए नयी सरकार को अपनी प्राथमिकताएं तुरंत तय कर लेनी चाहिए.