सरकारी स्कूलों की नाकामी
सरकारें आती हैं और चली जाती हैं. वादे लेकर आती हैं और सभी वादे जुमले बनकर रह जाते हैं. आज सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर इतना गिर गया है कि मुफ्त में शिक्षा, ड्रेस, खाना, किताबें और भी बहुत तरह की सुविधाएं मिलने के बावजूद न बच्चे सरकारी स्कूल जाना चाह रहे हैं और […]
सरकारें आती हैं और चली जाती हैं. वादे लेकर आती हैं और सभी वादे जुमले बनकर रह जाते हैं. आज सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर इतना गिर गया है कि मुफ्त में शिक्षा, ड्रेस, खाना, किताबें और भी बहुत तरह की सुविधाएं मिलने के बावजूद न बच्चे सरकारी स्कूल जाना चाह रहे हैं और न ही अभिभावक भेजना चाहते है.
वहीं निजी स्कूलों में बढ़ती फीस, रिएडमिशन, महंगी किताबें और तरह-तरह के चार्ज लेने के बावजूद लोग इन्हीं स्कूलों में अपने बच्चों को भेज रहे है. सरकार अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए निजी स्कूलों पर दबाव डालने की कोशिश कर रही है. बच्चे ने आज सरकारी स्कूलों को छोड़कर निजी स्कूलों का रुख कर लिया है.
सरकार आज अपनी नाकामी की वजह से अधिकतर स्कूलों को बंद करके दूसरे स्कूलों में मर्ज कर रही है. सरकार यदि अपने कमियों को सुधार नहीं करती है, तो वह दिन दूर नहीं, जब सभी सरकारी स्कूलों को बंद करने की नौबत आ जायेगी और सरकार के पास पछताने के सिवाय कुछ नहीं बचेगा.
गिरधारी चौधरी, रामगढ़