बिजली की मार
नोबल विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने कहा था कि आधुनिक युग में रोटी, कपड़ा और मकान के साथ-साथ शिक्षा, चिकित्सा और मनोरंजन की आवश्यक आवश्यकता में शामिल है. इन सभी की पूर्ति के लिए बिजली की आपूर्ति जरूरी है, लेकिन यह हमारी बदनसीबी है कि आज हम बिजली की मार से त्रस्त हैं. प्रति माह […]
नोबल विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने कहा था कि आधुनिक युग में रोटी, कपड़ा और मकान के साथ-साथ शिक्षा, चिकित्सा और मनोरंजन की आवश्यक आवश्यकता में शामिल है. इन सभी की पूर्ति के लिए बिजली की आपूर्ति जरूरी है, लेकिन यह हमारी बदनसीबी है कि आज हम बिजली की मार से त्रस्त हैं. प्रति माह बिजली बिल देने के बाद भी 12 घंटे भी पर्याप्त बिजली नहीं मिलती है. सर्दी, गर्मी, बरसात हर ऋतु में बिजली की बदतर स्थिति से परेशान हैं, जबकि हमारे ही राज्य में पीटीपीएस के रूप में बड़ा विद्युत उत्पादन केंद्र है. विधायक कहिए, सांसद कहिए, यहां तक कि मुख्यमंत्री कहिए, किसी को बिजली की स्थिति सुधारने का रत्ती भर भी गरज नहीं है. ऐसा लगता कि अंधेर नगरी चौपट राजा वाली कहावत हमारे राज्य में सच साबित होती है.
अनित कुमार राय, धनबाद