डर लगता है

अपनी जरूरतों को पूरा करने के दौरान कभी घर पहुंचने में रात हो जाती है, तो बस स्टैंड से अकेले घर आते समय हमेशा एक भय बना रहता है. न जाने कौन पीछे से आकर सामान छीन कर भाग जाये. विरोध करने पर मार-पीट करे. तब हम असहाय महसूस कर रहे होंगे. अगर आप लड़की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 11, 2018 6:58 AM

अपनी जरूरतों को पूरा करने के दौरान कभी घर पहुंचने में रात हो जाती है, तो बस स्टैंड से अकेले घर आते समय हमेशा एक भय बना रहता है. न जाने कौन पीछे से आकर सामान छीन कर भाग जाये. विरोध करने पर मार-पीट करे. तब हम असहाय महसूस कर रहे होंगे. अगर आप लड़की हैं, तो समझिए कि एक-एक कदम जान हथेली पर लेकर बढ़ा रही हैं.

आप पुलिस स्टेशन में शिकायत भी नहीं कर सकते, क्योंकि बहुत-से मौकों पर तो पुलिस सामने खड़ी होकर तमाशा देखती है और रात के वक्त मदद करने की उसकी सोच बहुत सीमित है. ऐसे में हमारे हिस्से सिवाय डर के कुछ भी नहीं होता. काश, इस डर को खत्म करने वाली व्यवस्था कोई दे पाता.

उत्सव रंजन, नीमा, हजारीबाग

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