अठ्ठाईस साल का बेबी

आलोक पुराणिक वरिष्ठ व्यंग्यकार मेट्रो ट्रेन में इधर बीस-बाईस वर्षीय युवती मोबाइल पर वार्तारत थी- माय शोना बेबी, माय क्यूट बेबी. हाऊ आर यू माय बच्चा. उधर से भी संवाद हो रहा था- कुच्ची पुची, शोना बेबी, क्यूट बेबी. दोनों तरफ ही बेबीमय माहौल था, पर कुछ के लिए कुछ चकरायमान माहौल बना कि बीस-बाईस […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 11, 2018 6:59 AM

आलोक पुराणिक

वरिष्ठ व्यंग्यकार

मेट्रो ट्रेन में इधर बीस-बाईस वर्षीय युवती मोबाइल पर वार्तारत थी- माय शोना बेबी, माय क्यूट बेबी. हाऊ आर यू माय बच्चा. उधर से भी संवाद हो रहा था- कुच्ची पुची, शोना बेबी, क्यूट बेबी. दोनों तरफ ही बेबीमय माहौल था, पर कुछ के लिए कुछ चकरायमान माहौल बना कि बीस-बाईस साल की युवती के इतना बड़ा बच्चा कैसे, जिसे वह बेबी-बेबी किये जा रही है और वह उधर से घनाघन संवाद किये जा रहा है. करीब आधा घंटा शोना-बेबी होता रहा.

सामाजिक तौर पर एक जागरूक ने आशंका जाहिर कि जरूर इस युवती का बाल विवाह हो गया हो, तब ही इसके इतना बड़ा बेबी है. मेट्रो के अगले स्टेशन पर वह बेबी भी चढ़ लिया ट्रेन पर, बेबी कोई ‘अठ्ठाईस-तीस साल’ का रहा होगा. बेबी के बाप की उम्र का बंदा बेबी हो रहा था.

बातचीत शुरू हुई. वह पुरुष बेबी इस लड़की को भी बेबी कहने लगा. बेबी टू बेबी संवाद चला. बेबी संबोधन अब जेंडर न्यूट्रल हो लिया है. किसी को भी बोल दो बेबी. सचमुच के बेबियों को आपत्ति करनी चाहिए कि कैसे-कैसों को बेबी कहा जा रहा है. सुबोध नामक पच्चीस वर्षीय युवक फोन पर कुछ ऐसे शब्द निकाल रहा था- ऊं ऊं ऊं माय बेबी कुच्ची कुच्ची. उधर से भी ऐसे ही संवाद आ रहे थे- किन्नू किन्नू चिन्नू चिन्नू बेबी.

मां-बाप ने सुबोध नाम रखा होगा, यह सोचकर कि चलो बोधपूर्वक जीवन चलेगा इसका. यह तो नाम तक का भरभंड किये दे रहा है. नामों को लेकर विकट समस्याएं खड़ी हो गयी हैं. तीस साल के मर्द शोना बाबू हुए जा रहे हैं.

तीस साल की सुंदरियां बेबी हुई जा रही हैं. पार्क में तीन साल का बच्चा बेबी सुनकर चाॅकलेटातुर हो जाये, तो उसे पता चलता है कि बेबी तो कोई तीस वर्षीय दाढ़ीधारी है, जिसकी अर्हता बाबा होने की है, पर बेबीगिरी मचाये हुए है.

इश्क में बेबीमय हो जाता है सब. इश्क में बेवकूफियां इंतहा पर होती हैं, वैसी बेवकूफियां जैसी बेबी कर सकता है. प्रेमी में बेबी की बेवकूफियों की छवि देखना या प्रेमी में बेवकूफ बेबी तलाशना प्रेम का परम लक्ष्य है. प्रेमी अक्ल का बेवकूफ हो और गांठ का पूरा हो, तो प्रेम घणी दूर तक जाता है. कोई एक अक्लमंद निकल जाये, तो लड़ाई-झगड़े शुरू हो जाते हैं.

इसलिए अब के नौजवान प्रेम में एक-दूसरे को बेबी बाबू बोलते हैं. उम्मीद रहती है कि दो-ढाई साल के लेवल वाली हरकतें ही करना. शोना बाबू शाणा बन जाये, तो आफत. ऐसे ही बेबी ज्यादा सवाल-जवाब करे, तो आफत खड़ी हो जाती है.

चतुर सावित्री अब यमराज को यह कहकर बेवकूफ बनाती है- यमराज तुम तो सत्यवान को लेने आये हो न. यहां तो सिर्फ शोना बाबू हैं. यमराज भी चकराते- हां दरवाजे के पीछे आधे घंटे से खड़ा होकर सुना तो मैंने भी शोना बाबू ही. गलत एड्रेस पर आ गया लगता है.कन्फ्यूजन विकट है. जनगणना में कहीं ये आंकड़ा ना आ जाये कि मुल्क की नब्बे प्रतिशत जनसंख्या बेबी ही है. ‘बेबीप्रधान लव कर राखा’.

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