घटता जल स्तर चिंता का विषय

बढ़ती जनसंख्या और औद्योगिकीकरण के कारण आज ऐसी स्थिति बन चुकी है कि 2040 तक जल के खत्म होने की संभावनाएं जतायी जा रही है. जल के स्रोत भी घटते जा रहे हैं. पेयजल शुद्ध न रहने से जानलेवा बीमारियां उत्पन्न हो रही हैं. पृथ्वी पर जल असीमित जरूर है, लेकिन कुल जल का मात्र […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 12, 2018 7:03 AM

बढ़ती जनसंख्या और औद्योगिकीकरण के कारण आज ऐसी स्थिति बन चुकी है कि 2040 तक जल के खत्म होने की संभावनाएं जतायी जा रही है. जल के स्रोत भी घटते जा रहे हैं. पेयजल शुद्ध न रहने से जानलेवा बीमारियां उत्पन्न हो रही हैं.

पृथ्वी पर जल असीमित जरूर है, लेकिन कुल जल का मात्र 2.4 % हिस्सा ही स्वच्छ है. इस कारण जल का महत्व और संरक्षण बहुत अधिक बढ़ जाता है. कुंओं और तालाबों का सूखना और गाद जमा होने जैसी समस्या से खासकर गांव बहुत प्रभावित हो रहे हैं.

वनों की अंधाधुंध कटाई के कारण पर्यावरण गड़बड़ा चुका है. वर्षा अनियमित हो गयी है. ऐसे में यह जरूरी हो गया है कि वर्षा के जल के संचय किया जाये. सरकार को इसके लिए एक अभियान के तहत कार्य करना चाहिए और लोगों में जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ जल संचय के लिए आम जनता को बढ़ावा देना चाहिए.

अखिल सिंघल, इमेल से

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